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पारसनाथ विवाद पर जयराम महतो ने दिलाई मोतीलाल बास्के एनकाउंटर की याद, कहा – किसान आंदोलन में 700 किसानो की मृत्यु हो गयी, तब भी निर्णय नहीं हुआ, और जैन समाज के सात घंटे के आंदोलन के बाद केंद्र सरकार जाग गयी, क्योकि ‘पैसा बोलता है’

जयराम ने कहा कि पारसनाथ मामले में झारखंड की अस्मिता को खंडित करने का प्रयास किया जा रहा है. पूरे पहाड़ के लिए गाइडलाइन्स जारी किया जाना अनैतिक है. वहां के लोग पहाड़ पर जाते है अपनी दिनचर्या बिताने, पत्तल, लकड़ियां चुनने. अगर बीच का रास्ता नहीं निकला, तो आंदोलन होगा.

पारसनाथ विवाद को लेकर जयराम महतो ने भी बड़ा बयान दिया है. जयराम महतो ने इस मामले में रघुवर सरकार के दौरान 9 जून, 2017 के दिन फर्जी एनकाउंटर में मारे गए मोतीलाल बास्के की याद दिलाई और कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि पारसनाथ में अगर कोई संथाली आदिवासी लकड़ी, पत्ता चुनने जाए, या भ्रमण करने जाए तो उसका एनकाउंटर मोतीलाल बास्के की तरह कर दिया जाए. जयराम महतो ने कहा कि हम सबकी आस्था का सम्मान करते है, मगर बीच का रास्ता निकले. पारसनाथ में 50 गांव ऐसे समुदायों के है, जिनकी विचारधारा जैन समाज के साथ मेल नहीं खाती. उनका क्या होगा, उनके मवेशी चढ़ नहीं पाएंगे पहाड़ पर, लोग जाएंगे तो आप (सरकार की पुलिस) उनका एनकाउंटर कर देंगे. पारसनाथ में वहां के जनजातीय लोग दो बार चढ़ते उतरते है. जयराम ने कहा कि पारसनाथ मामले में झारखंड की अस्मिता को खंडित करने का प्रयास किया जा रहा है. पूरे पहाड़ के लिए गाइडलाइन्स जारी किया जाना अनैतिक है. वहां के लोग पहाड़ पर जाते है अपनी दिनचर्या बिताने, पत्तल, लकड़ियां चुनने. अगर बीच का रास्ता नहीं निकला, तो आंदोलन होगा.

जयराम महतो ने कहा कि सम्मेद शिखर के लिए केंद्र सरकार निर्देश जारी करे, तो बात समझ में भी आती है. मगर पूरे पर्वत क्षेत्र के लिए दिशा निर्देश जारी करना समझ से परे है. उन्होंने आरोप लगाया कि पैसे के कारण सब निर्णय हो रहे है. किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए जयराम महतो ने कहा कि किसान आंदोलन में 700 किसानो की मृत्यु हो गयी, तब भी निर्णय नहीं हुआ, और जैन समाज के सात घंटे के आंदोलन के बाद केंद्र सरकार जाग गयी, क्योकि पैसा बोलता है. सब जानते है कि जैन समाज के लोग कितने धनवान है. उन्होंने शहीद ए आज़म भगत सिंह का नाम लेते हुए कहा कि भगत सिंह कहते थे हम आजादी तो अंग्रेजो से छीन लेंगे, मगर क्या आजाद भारत की सरकार गांव गरीब किसानो तक जा पायेगी. उनकी चिंता आज सामने आकर खड़ी हो गयी है. आज मुट्ठी भर लोगो के हाथो में देश की आजादी चली गयी है.

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