
झारखंड के हज़ारो ग्राम सभाओ और आदिवासी समाज की वर्षो से लंबित मांग ‘पेसा कानून’ को लागू करने की दिशा में हेमंत सोरेन सरकार ने आज बहुत बड़ा कदम उठाया है. आज वो हुआ जो पहले की तमाम सरकारों ने नहीं किया था. जिसकी मांग आदिवासी समाज लंबे समय से कर रहा था, आज हेमंत सोरेन सरकार ने अपनी मंशा उसपर जाहिर कर दी है. संदेश साफ़ है, गांवो के विकास के लिए झारखंड में पेसा कानून के प्रावधानों को लागू किया जाए. आज पंचायती राज विभाग ने पेसा कानून के प्रावधानों से संबंधित झारखंड पेसा नियमावली का ड्राफ्ट प्रकाशित किया है. इसके तहत झारखंड पंचायत उपबंध (अनुसूचित क्षेत्रों पर विस्तार) नियमावली 2022 का औपबंधिक प्रारूप प्रकाशित हुआ है. इसके तहत ग्राम सभा के गठन, इसकी संरचना, कामकाज के संचालन, ग्राम सभा की स्थायी समितियां, और उनके कार्यप्रणाली को स्पष्ट किया गया है. इसके अलावा सामुदायिक संसाधनों के प्रबंधन, परंपराओं के संरक्षण एवं विवादों का निपटारा, विकास योजनाओ का अनुमोदन, सामाजिक क्षेत्रों के संस्थाओ के कार्यो पर नियंत्रण, भू अर्जन, पुनर्स्थापन, लघु जल निकायों का प्रबंधन, लघु खनिज, मादक द्रव्यों का नियंत्रण, लघु वन उपज के दृष्टि से महत्वपूर्ण प्रावधानों को स्पष्ट किया गया है. इसी तरह भूमि का प्रत्यावर्तन, बाजारों का प्रबंधन, ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर नियंत्रण, आदि विषयो पर विस्तार से प्रकाश डाला गया है.
इस नियमावली से झारखंड के 13 अधिसूचित जिलों समेत तीन अन्य जिलों के 16028 ग्राम सभाओ को सीधा लाभ मिलेगा. लंबे अरसे से झारखंड में पेसा कानून के प्रावधानों को स्पष्ट कर उन्हें लागू करने की मांग की जा रही थी. मगर आज तक इससे संबंधित प्रावधानों को स्पष्ट नहीं किया गया. मगर अब हेमंत सोरेन सरकार ने गांवो के विकास को गति देने के लिए इस अत्यंत महत्वपूर्ण कानून के प्रावधानों को स्पष्ट करते हुए पेसा नियमावली का ड्राफ्ट जारी कर दिया है.