बीजेपी विधायक समरीलाल की विधायकी पर संकट गहराया, चुनाव आयोग ने भेजा नोटिस
कांके सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर दुसरे नंबर पर रहे सुरेश बैठा की शिकायत पर जाति छानबीन समिति ने समरीलाल को राज्य सरकार की ओर से निर्गत अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया था. जांच में समिति ने पाया कि समरीलाल झारखंड के स्थायी निवासी नहीं है. वो यहां के रैयत भी नहीं है.

रांची. झारखंड में सियासी तूफ़ान थमने का नाम नहीं ले रहा है. एक ओर जहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के ऑफिस ऑफ़ प्रॉफिट मामले में अबतक राजभवन की ओर से कोई जानकारी नहीं दी गयी है. इस मामले में संशय के बादल मंडरा ही रहे है कि अब कांके से भारतीय जनता पार्टी के विधायक समरीलाल की विधायकी पर भी तलवार लटकने लगी है. समरीलाल पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र देकर विधायक बनने का आरोप है. कांके सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है. इस सीट पर दुसरे नंबर पर रहे सुरेश बैठा की शिकायत पर जाति छानबीन समिति ने समरीलाल को राज्य सरकार की ओर से निर्गत अनुसूचित जाति प्रमाण पत्र रद्द कर दिया था. जांच में समिति ने पाया कि समरीलाल झारखंड के स्थायी निवासी नहीं है. वो यहां के रैयत भी नहीं है. बावजूद इसके फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर समरीलाल चुनाव लड़े और जीत गए.
अब इसी मामले में भारत चुनाव आयोग ने समरीलाल को नोटिस भेजकर पंद्रह दिन के अंदर जवाब देने को कहा है. यह नोटिस राज्यपाल रमेश बैस की ओर से परामर्श मांगने पर दिया गया है. विधानसभा स्पीकर रविंद्रनाथ महतो ने अप्रैल में समरीलाल का जाति प्रमाण पत्र रद्द करने के जाति छानबीन समिति के निर्णय और कांग्रेस नेता सुरेश बैठा के आवेदन को राज्यपाल को भेज दिया था. विधानसभा अध्यक्ष रविंद्र नाथ महतो ने आवेदन में लिखा था कि ऐसे मामलो में संविधान के अनुछेद 192 के तहत राज्यपाल को फैसला लेने का अधिकार है. प्रावधान के अनुसार राज्यपाल ऐसे मामलो में चुनाव आयोग से परामर्श लेकर अपना निर्णय लेते है.