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रांची में झारखंड आदिवासी महोत्सव का भव्य आगाज, रीझ रंग शोभायात्रा एवं ढोल नगाड़ो के साथ हुई शुरुआत, भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान आदिवासी संस्कृति से हुआ सराबोर

सीएम हेमंत सोरेन बोले - आदिवासी ही विश्व के मूलवासी है, इसके बाद अलग अलग समाज की रचना हुई। आदिवासियों ने अपनी संस्कृति को विश्व में फैलाया।

Ranchi. रांची में आज से दो दिवसीय झारखंड आदिवासी महोत्सव की भव्य शुरुआत हुई। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व में लगातार तीसरे वर्ष विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर आदिवासी समाज के गौरवशाली परंपराओं और रीति रिवाजो को दिव्यता के साथ प्रदर्शित करते इस भव्य महोत्सव का रांची के बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में आगाज हुआ। महोत्सव का साक्षी बनने और इस विराट उत्सव का आनंद लेने के लिए रांची समेत राज्य के विभिन्न जिलों से कलाकार और आम लोग राजधानी के जेल चौक पहुंच रहे है।


आज पहले दिन रीझ रंग शोभायात्रा से इस महोत्सव की शुरुआत हुई। रांची के मोरहाबादी से जेल चौक स्थित भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान तक यह शोभायात्रा निकाली गयी, जिसमे विभिन्न जनजातियों से जुड़े कलाकार ढोल मांदर और नृत्य करते हुए महोत्सव स्थल तक पहुंचे।

भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान में दोपहर 12 बजे राज्य के राज्यपाल संतोष गंगवार, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और दिशोम गुरु शिंभु सोरेन ने संयुक्त रूप से महोत्सव की विधिवत शुरुआत की। इस दौरान राज्यपाल संतोष गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने झारखंडी जनजातीय भाषाओ में लिखी 12 पुस्तकों का लोकार्पण किया। जिन पुस्तकों का लोकार्पण हुआ उनमे मावंडो बाल पुस्तिका, पहाड़िया बाल पुस्तिका, सबर बाल पुस्तिका, कोरवा व्याकरण, पहाड़िया व्याकरण, मावंडो व्याकरण, सबर व्याकरण, झारखंड के व्यंजन, बिरसा मुंडा की जीवनी, सोनेट संथाल और टुंडी आश्रम पर अध्ययन, सामाजिक-धार्मिक जनजातीय आंदोलन, आदिवासी दर्शन शामिल है।


आदिवासी ही विश्व के मूलवासी है – मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन

झारखंड आदिवासी महोत्सव के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज सिर्फ रांची में नहीं, बल्कि राज्य के अलग अलग जिलों में विभिन्न आयोजन हो रहे है। आदिवासी समाज के लिए ऐसे दिन हमेशा यादगार होते है। आदिवासी ही विश्व के मूलवासी है, इसके बाद अलग अलग समाज की रचना शुरू हुई। आदिवासियों ने अपनी संस्कृति और सभ्यताओं को विश्व में फैलाया। झारखंड के आदिवासियों ने संस्कृति, सभ्यता, जल, जंगल, जमीन की रक्षा और आदिवासियों के अधिकारों की रक्षा के लिए दुनिया को मार्ग दिखाया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि झारखंड को वीरो की धरती कहा जाता है। यहां के आदिवासी मूलवासियो ने झारखंड को अलग राज्य बनाने के लिए 50 सालो तक संघर्ष किया, इस आंदोलन में कई शहीद हुए। झारखंड आंदोलनकारी दिशोम गुरु शिबू सोरेन आज जीवित है, मगर आंदोलन के दौरान और उसके बाद शिबू सोरेन के कई साथियो ने हमारा साथ छोड़ दिया। अन्य राज्यों की तुलना में झारखंड की अलग पहचान, अलग इतिहास रहा है। सदियों से यहां के मूलवासी आदिवासियों का शोषण हुआ है। आजादी से पहले और उसके बाद भी यहां के लोगो को अलग थलग रखा गया। हमारे शोषण को देखते हुए हमारे पूर्वजो ने राज्य अलग करने का संकल्प किया। राज्य अलग होने के बाद कई सरकार आयी और गयी, 2019 के बाद हमें सरकार बनाने का मौक़ा मिला। कोरोना के कारण कई वर्षो तक हम आदिवासी दिवस नहीं मना पाए। मगर अब यह सिलसिला कभी नहीं रुकेगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि जनजातीय महोत्सव के द्वारा सरकार द्वारा आदिवासियों को संजोने का प्रयास किया है। झारखंड को सोने की चिड़ियाँ कहा जाता है, यहां सर्वाधिक खनिज संपदा है। हमारी सरकार में हमने विकास की गति को तेज करने का प्रयास किया ताकि हमारे आने वाली पीढ़ी को उज्जवल भविष्य मिले। आज हम बहुत संघर्ष के बाद यहां तक पहुंचे है। आज भी आदिवासी दलित पिछड़े ऊंचे पदों पर नहीं दिख पा रहे है। आने वाले समय में हमारा समाज आगे कैसे बढे, इसके लिए हमारे साथ आप भी कदम से कदम मिलाकर चले। सरकार आपकी सहायता के लिए हर पल खड़ी है। आज हमारी सरकार पर जो आपने भरोसा किया है, उस विश्वास पर खरा उतरने की हमारी सरकार लगातार कोशिश कर रही है।

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