HeadlinesJharkhand

राहुल गांधी ने आदिवासी नेताओं के साथ की बैठक, मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की और सांसद सुखदेव भगत ने सरना धर्म कोड और परिसीमन का उठाया मामला

नयी दिल्ली: कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी की अध्यक्षता में दिल्ली के 10 जनपथ पर ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में झारखंड, मध्यप्रदेश और राजस्थान के आदिवासी सांसद और विधायक शामिल हुए। झारखंड से लोहरदगा सांसद सुखदेव भगत, कृषि मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की, विधायक सोना राम सिंकू, विधायक नमन विक्सल कोंगाड़ी, विधायक भूषण बाड़ा ने भाग लिया। इस बैठक में लोहरदगा सांसद ने जातिगत जनगणना में सातवां कॉलम के तौर पर सरना धर्म कोड को जगह देने पर विशेष बल दिया गया।

आदिवासी समाज के उत्थान को केंद्र में रखकर बुलाई गई इस बैठक के बाद झारखंड सरकार में मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर पोस्ट कर सरना धर्म कोड, ट्राइबल लीगल कौंसिल, परिसीमन के बाद आदिवासी सीटों की स्थिति को लेकर बातें रखी गई। शिल्पी नेहा तिर्की ने कहा कि अगर परिसीमन के बाद भी आदिवासी सीटें सुरक्षित नहीं रही तो उनका अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

मंत्री शिल्पी नेहा तिर्की ने राहुल गांधी के साथ हुई आदिवासी नेताओं की बैठक के बाद अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि देश में जनसंघर्षों की आवाज और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जी अध्यक्षता में आज दिल्ली स्थित 10 जनपथ में ऑल इंडिया आदिवासी कांग्रेस की महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस बैठक में मध्य प्रदेश , राजस्थान , झारखंड के आदिवासी विधायक और सांसदों ने हिस्सा लिया।ये बैठक आदिवासी अस्मिता के संरक्षण और संवर्द्धन के लिहाज से खास रही।

  • झारखंड जैसे राज्य में जहां पूर्वर्ती रघुवर दास सरकार में लैंड डिजिटाइजेशन के नाम पर रैयतों को उन्हीं की जमीन से बेदखल करने की साजिश रची गई थी। लैंड रिकॉर्ड में गलत नाम , गलत प्लॉट संख्या , पंजी 2 में किसी दूसरे के नाम चढ़ाना, ये सब कुछ लैंड डिजिटाइजेशन के नाम पर किया गया। नतीजतन झारखंड के भोले भाले आदिवासी परिवार के लोग जमीन से संबंधित कागजात और खतियान ले कर अंचल कार्यालय का चक्कर लगाने को मजबूर है। उनकी मदद करने वाला कोई नहीं है यहां तक की कोर्ट में भी आदिवासी परिवार को सिर्फ इस लिए न्याय नहीं मिल पा रहा क्यूंकि उनके पास अच्छे वकील या मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं है। मैंने बैठक में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव रखे है। जिसमें राज्य में नये सिरे से सर्वे कराया जाना , राज्य में ट्राइबल लीगल कौंसिल का गठन करना , ताकि आदिवासियों की जमीन से संबंधित मामलों का निबटारा समय पर किया जा सके। अभियान चला कर गांव-गांव में भूमि सुधार हेतु कैंप लगाना।
  • जातिगत जनगणना में 2016 के पूर्व अन्य कॉलम की व्यवस्था को सातवां कॉलम के तौर पर जोड़ना। प्रकृति पूजक आदिवासियों के लिए जनगणना प्रपत्र में सातवां कॉलम या आदि कॉलम, सरना धर्म कॉलम होना चाहिए।
  • झारखंड के सिंहभूम जिले के जादूगोड़ा में न्यूक्लियर वेस्ट का लगातार डंपिंग हो रहा है। इस डंपिंग की वजह से आदिवासी deformity के शिकार हो रहें हैं। ऐसे में अविलंब प्रभावितों के पुनर्वास हेतु सरकार को कदम उठाना चाहिए।
  • अगर झारखंड में परिसीमन होता है तो ऐसे स्थिति में आदिवासियों के लिए आरक्षित पूर्व की सीट परिसीमन के बाद भी आरक्षित रहनी चाहिए । वरना आदिवासियों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button