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रांची के श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर आदिवासी जननायक वीर शहीद बुधू भगत यूनिवर्सिटी किये जाने का बीजेपी ने किया विरोध, बाबूलाल मरांडी ने फैसले को बताया दुर्भाग्यपूर्ण

रांची: राजधानी रांची के डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलने के हेमंत सोरेन सरकार के फैसले को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। बीजेपी ने हेमंत कैबिनेट के दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। वहीं झामुमो और कांग्रेस इसे झारखंड के वीर सपूत और महान स्वतंत्रता सेनानी बुधू भगत का सम्मान बता रही हैं। दरअसल, वर्ष 2017 में पूर्व की रघुवर सरकार ने रांची कॉलेज का नामकरण जनसंघ के संस्थापक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के नाम पर कर दिया था। तब से ही आदिवासी संगठन लगातार इसका नाम बदलकर वीर शहीद बुधू भगत यूनिवर्सिटी करने की मांग कर रहे थे। अब हेमंत सोरेन के नेतृत्व में गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी यूनिवर्सिटी का नाम बदलकर कोल विद्रोह के महानायक शहीद वीर बुधू भगत विश्वविद्यालय करने का निर्णय लिया गया है।

हेमंत कैबिनेट के इस फैसले को लेकर सत्ता पक्ष और मुख्य विपक्षी दल बीजेपी आमने-सामने आ गए हैं। झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। बाबूलाल मरांडी ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा कि झारखंड सरकार द्वारा श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय का नाम बदलकर वीर बुधू भगत विश्वविद्यालय करने का फैसला बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है और गलत परंपरा स्थापित करता है। इस तरह के कदम संस्थानों की स्थिरता और इतिहास के प्रति सम्मान को कमजोर करते हैं। यह निर्णय न तो श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के सम्मान में है और न ही महान स्वतंत्रता सेनानी वीर बुधू भगत जी के योगदान को उचित सम्मान देता है। बाबूलाल मरांडी ने राज्य सरकार से निर्णय को तत्काल वापस लेने की मांग की है।


वहीं हेमंत कैबिनेट के फैसले का स्वागत करते हुए झामुमो के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि हमारी सरकार भाजपा नेताओं को खुश करने के लिए नहीं बल्कि राज्य की जनता के चेहरे पर मुस्कान लाने के लिए बनी है। उन्होंने कहा कि 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से पहले भी अंग्रेजों के खिलाफ कोल विद्रोह हुआ था, उस विद्रोह के नायक शहीद वीर बुधू भगत थे। अंग्रेजों ने उस समय उनकी गिरफ्तारी पर ₹100 का इनाम रखा था। आज जब हमारी सरकार उस धरती पुत्र को सम्मान दे रही है तो भाजपा और उसके नेता बाबूलाल मरांडी के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? मनोज पांडेय ने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी का राज्य के लिए कोई योगदान नहीं है। वहीं बाबूलाल मरांडी के आरोप पर प्रतिक्रिया देते हुए झामुमो नेता मनोज पांडेय ने कहा कि गुजरात के अहमदाबाद में सरदार पटेल का नाम बदलकर पीएम मोदी के नाम पर स्टेडियम बनाने का क्या मतलब है?

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