
रांची. झारखंड में बिजली व्यवस्था में पिछले कुछ सालो में हुए सुधारात्मक प्रयासों का परिणाम अब विश्व पटल पर दिखने लगा है। राज्य के बिजली व्यवस्था में बदलाव के गवाह ना केवल झारखंड के लोग है, बल्कि अब विश्व बैंक ने भी राज्य में हेमंत सरकार के दौरान हो रहे इन व्यापक और ऐतिहासिक बदलावों को महसूस किया है। विश्व बैंक की टीम ने राज्य में संचालित बिजली सुधार परियोजनाओं की जमकर तारीफ की है। यह परियोजनाएं लगभग 159 मिलियन डॉलर की है। विश्व बैंक के पदाधिकारियों ने राज्य में कई कार्य स्थलों का निरिक्षण किया और संचरण और वितरण से संबंधित स्थितियों का जायजा लिया। अधिकारियो ने सिकिदिरी हाइडल और इरबा स्थित ग्रिड का निरिक्षण भी किया और कार्यो की गुणवत्ता और प्रगति की जांच की। विश्व बैंक की टीम ने बताया कि हाल के वर्षो में राज्य की बिजली व्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार हुआ है। स्मार्ट मीटरिंग से लेकर ट्रांसमिशन नेटवर्क तक सभी परियोजनाएं अपने लक्षित समय से पूर्व ही पूर्ण होने के कगार पर है, जो कार्यो में तेज गति का संकेत है। राज्य की राजधानी रांची में 92% घरो में स्मार्ट मीटर लग चुका है। जनवरी तक शेष लक्ष्य की प्राप्ति भी कर ली जाएगी।
विश्व बैंक ने राज्य के एकीकृत डिजिटल राजस्व प्रणाली की भी जमकर सराहना की है। राज्य की बिलिंग दक्षता 77% और कलेक्शन 86% तक पहुंच गयी है। जो सराहनीय है। अधिकारियो ने बताया कि ऊर्जा संचरण निगम के नेटवर्क में भी ऐतिहासिक प्रगति दर्ज की गयी है। मार्च 2026 तक 15000 गीगावाट प्रति घंटा बिजली की आवाजाही का लक्ष्य तय था, मगर मार्च 2024 में ही 13,318 गीगावाट प्रति घंटा बिजली की आवाजाही का रिकॉर्ड दर्ज कर इसे लक्ष्य से दो साल पहले ही पूरा कर लिया गया है। राज्य में सारी परिसंपत्तियों का डिजिटल रिकॉर्ड भी दर्ज किया गया है, जिससे पारदर्शिता और आधुनिकता को बढ़ावा मिला है।



