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शर्मनाक: बीजेपी के लिए अपराध एक ‘मजाक’ है, दुमका में पहले बीजेपी नेता के भाई ने नया सिम लेकर बहन को किया ब्लैकमेल, पुलिस ने दबोचा तो बोला- मजाक कर रहे थे

रांची/दुमका. झारखंड में बीजेपी के लिए अपराध करना एक “मजाक” है. भारतीय जनता पार्टी हर दिन अपराध के नाम पर झारखंड को बदनाम करने की कोशिश में जुटी रहती है. भाजपा के नेता यहां तक कहने लगते है कि अब झारखंड का नाम दूसरे राज्यों में लेने में उन्हें शर्म महसूस हो रहा है. मगर जब यही अपराधी उनका कोई “अपना” निकल जाता है, तो भाजपा इसे मजाक बताकर मामले से पीछा छुड़ाने की कोशिश में लग जाती है.

झारखंड बीजेपी अपराध जैसे संगीन मामलो को भी ‘मजाक’ में उड़ा देती है. झारखंड बीजेपी के नेताओ को यूं तो झारखंड के बाहर जाकर झारखंडी कहलाने में शर्म आती है. मगर जब अपराध किसी बीजेपी नेता के द्वारा ही किया जाए तो भारतीय जनता पार्टी के लिए वह एक ‘मजाक’ बन जाता है. आज बीजेपी के इस दोहरे मापदंडो की बात इसीलिए की जा रही है क्योकि जिस खबर को आप देख रहे है. वह दुमका बीजेपी की नेता नीतू झा से जुड़ा हुआ है. हाल ही में अंकिता हत्याकांड के समय सुर्खियों में आयी नीतू और उनका परिवार कितनी बड़ी ड्रामेबाज है, ये आपको ये खबर जानकर पता चल जायेगा. आज ‘अपराध का परिवारवाद से प्यार भरा मजाक’ देखकर आपको हैरानी होगी, शायद गुस्सा भी आ जाए.

दुमका बीजेपी की जिलाध्यक्ष नीतू झा ने पुलिस में एक कम्प्लेन दर्ज की. कम्प्लेन में बताया कि उन्हें किसी अनजान शख्स ने महाराष्ट्र पुलिस के नाम से धमकी दी है. मगर हक़ीक़त की जब पड़ताल की गयी तब ये पूरा ड्रामा एक ‘मजाक’ निकला. महाराष्ट्र पुलिस के नाम पर धमकाने देने वाला कोई और नहीं बल्कि नीतू झा का ही भाई जयराज झा निकला. और फिर शुरू हुआ कानून की दहलीज पर फॅमिली ड्रामा. नगर थाने की पुलिस ने केस को गंभीरता से लेते हुए गोड्डा के मोतिया डुमरिया गांव से धमकी देने वाले जयराज को हिरासत में तो ले लिया. मगर बाद में बीजेपी नेता नीतू झा के कहने पर पुलिस ने धमकी बाज जयराज झा को चेतावनी देकर छोड़ दिया.

आपको बताते है कि क्या है ये पूरा ड्रामा. दरअसल डुमरिया में रहने वाले नीतू के भाई जयराज ने नया सिम लिया था. सिम लेने के बाद बहन नीतू झा को फोन किया. 29 सितंबर को जयराज ने नाम बदलकर बहन को फोन किया और कहा कि वो महाराष्ट्र पुलिस से बोल रहा है. आपकी गिरफ्तारी के लिए आए हुए हैं. नीतू डर गई, जिसके बाद उन्होंने मामले की जानकारी देते हुए नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई. मामला हाई प्रोफाइल हो गया. पुलिस भी एक्टिव हो गई और मामले की जांच में जुट गई. इसके बाद पुलिस हरकत में आई और जब नंबर की जांच की गई तो वो नंबर बीजेपी नेता के भाई का ही निकाला. इसके बाद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया.

गिरफ्तारी के बाद जयराज ने पुलिस को बताया कि वो अपनी बहन के साथ ‘मजाक’ कर रहा था. मामला पारिवारिक होने के कारण और छोटा भाई ही धमकी देने वाला आरोपी निकला तो नीतू झा ने पुलिस से आग्रह किया कि मैं अपनी शिकायत वापस लेती हूं. इस पूरे घटनाक्रम की जानकारी दुमका एसडीपीओ नूर मुस्तफा ने दी. उन्होंने कहा कि जब शिकायतकर्ता ही अपनी शिकायत वापस लेना चाह रही हैं तो आरोपी जयराज से बॉन्ड लिखवाया, उसके बाद उसे छोड़ दिया. साथ ही हिदायत दी दोबारा ऐसी हरकत ना करे जिससे परिजनों के साथ-साथ पुलिस को भी परेशानी उठानी पड़े. इस तरह इस फॅमिली ड्रामा का थाने में दी एन्ड हो गया.

आज नीतू के इस ड्रामे पर कुछ सवाल उठ रहे है :

# अगर जयराज ने नीतू को धमकी ‘मजाक’ में दी थी, तो उसने फोन करने के तुरंत बाद इसकी सच्चाई नीतू को क्यों नहीं बताई ?

# जयराज जानता था कि नीतू तो क्या, कोई भी व्यक्ति ऐसे फोन कॉल से डर जाएगा. बावजूद इसके जयराज अपनी गिरफ्तारी का इंतज़ार क्यों करता रहा ?

# अगर जयराज ने मजाक किया, तो क्या किडनैपिंग जैसी संगीन अपराधों में मजाक करने का किसी को अधिकार है ?

# अगर नीतू झा इस घटना से परेशान थी. तो उसने पुलिस में मामला दर्ज करने से पहले ये बात अपने भाई जयराज को क्यों नहीं बताई ?

# बहन को परेशान देखने के बाद भी जयराज ने अपनी बहन को सच्चाई क्यों नहीं बताई ?

# फॅमिली ड्रामा के बीच पुलिस का बेशकीमती वक़्त बर्बाद हुआ, इसकी जवाबदेही किसकी है ?

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