
रांची. झारखंड विधानसभा का विशेष सत्र पांच सितंबर को आहूत किया गया है. इस सत्र में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सरकार का शक्ति प्रदर्शन तो करेंगे ही साथ ही झारखंड की सबसे बड़ी मांग को भी पूरा कर सकते है. विधानसभा के विशेष सत्र से हेमंत सरकार 1932 के खतियान के आधार पर राज्य की स्थानीय नीति का प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल को भेज सकती है. अगर ऐसा हुआ, तो ये ना केवल राज्य के आदिवासी मूलवासियो के लिए बल्कि झारखंड में रह रहे हर नागरिक के लिए ऐतिहासिक और सबसे ख़ास लम्हा बन जाएगा. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की कोशिश है कि राज्य के लोगो को उसका निरंतर अधिकार मिलता रहे. गुरुवार को कैबिनेट मीटिंग के बाद सीएम ने राज्य के एक लाख सरकारी कर्मियों को पुरानी पेंशन स्कीम की भी सौगात दी. कैबिनेट ने ओपीएस की मंजूरी दे दी. जिसकी मांग लाखो कर्मचारी सालो से कर रहे थे. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के चुनावी घोषणापत्र का भी ये हिस्सा रहा था.
भू सर्वेक्षण के आधार पर बन सकती है स्थानीय नीति
सूत्रों के मुताबिक पूरे राज्य की स्थानीय नीति एक समान नहीं होगी. इसे लेकर सरकार में असमंजस है. इसीलिए भू सर्वेक्षण के आधार पर स्थानीयता का कटऑफ जिलावार तय हो सकता है. 1932 में कई जिलों में भूमि सर्वेक्षण का काम नहीं हुआ था. वही कई जिलों में 1964, 1974, 1997 में भूमि सर्वेक्षण हुआ था. मगर स्थानीय नीति का आधार वर्ष 1932 ही होगा.