16वें वित्त आयोग की बैठक संपन्न, आयोग के समक्ष झारखंड ने रखा समग्र विकास का रोडमैप, आगामी पांच वर्षो के लिए की 3,03,527 करोड़ के अनुदान की मांग, जानिये वित्त आयोग की बैठक से जुडी हर बड़ी बात..
झारखंड ने 16वें वित्त आयोग से आग्रह किया कि वह कोल कंपनियों द्वारा झारखंड का बकाया 1,36,042 करोड़ की राशि उपलब्ध कराने की दिशा में पहल करे।

Ranchi. रांची में आज 16वें वित्त आयोग की बैठक संपन्न हुई। बैठक में राज्य सरकार के मंत्रियों समेत विभिन्न राजनैतिक दलों के नेता, चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बैठक की अध्यक्षता 16वें वित्त आयोग के चेयरमैन अरविंद पनगढ़िया ने की। झारखंड ने स्वास्थ्य, शिक्षा से लेकर आधारभूत संरचना के लिए आगामी पांच वर्षो के लिए वित्त आयोग से 3,03,527 करोड़ रुपये की मांग रखी। वित्त आयोग ने झारखंड का पक्ष सुनते हुए भारत सरकार के समक्ष मांगो को रखने का आश्वासन दिया।
राज्य के समग्र विकास के लिए रोडमैप
झारखंड ने 16वें वित्त आयोग को बताया कि राज्य के कुल 10.06 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि में सिंचाई क्षमता का सृजन किया गया है। इसे बढ़ाकर 24.25 हेक्टेयर भूमि में सिंचाई का सृजन किया जा सकता है। इसे ध्यान में रखते हुए आगामी पांच वर्षो में कार्य की योजना है। साथ ही जल संचयन के लिए भी केंद्र सरकार से विशेष आर्थिक सहयोग मांगा गया है। राज्य ने अगले पांच वर्षो के लिए राज्य के उग्रवाद प्रभावित चिन्हित 19 जिलों के लिए विशेष केंद्रीय सहायता तथा SRE के तहत विशेष केंद्रीय सहायता राशि उपलब्ध कराने की मांग की। राज्य ने स्वास्थ्य संकेतकों के आधार पर केंद्र से विशेष सहयोग की अपेक्षा की। राज्य ने वित्त आयोग को बताया कि झारखंड में आगामी पांच वर्षो में 21,000 किलोमीटर नए पथो का निर्माण और 26,000 किलोमीटर पूर्व से निर्मित सड़को का सृढ़ीकरण करना अनिवार्य है। इस संबंध में केंद्र सरकार से आर्थिक सहयोग दिया जाए। बैंको द्वारा झारखंड में किये गए CSR फंड की उपयोगिता में पारदर्शिता लाने और बैंको के दाइत्व निर्वाहन में राज्य सरकार का नियंत्रण होने की मांग उठायी।
कोल कंपनियों के बकाये 1,36,042 करोड़ की राशि राज्य को मिले
झारखंड ने 16वें वित्त आयोग से आग्रह किया कि वह कोल कंपनियों द्वारा झारखंड का बकाया 1,36,042 करोड़ की राशि उपलब्ध कराने की दिशा में पहल करे। केंद्र सरकार यदि उक्त बकाया राशि का भुगतान करा देती है, तो निश्चित रूप से राज्य के विकास को गति मिलेगी। झारखंड को मनरेगा मद की 1300 करोड़ की राशि उपलब्ध कराने की मांग की गयी। इनमे 775 करोड़ सामग्री मद और 525 करोड़ रुपये मजदूरी मद शामिल है।
जल जीवन मिशन अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2019-20 से वित्तीय वर्ष 2024-25 तक केंद्र सरकार से मिलने वाली कुल 11,152.89 करोड़ के विरुद्ध केवल 5,917.46 करोड़ ही प्राप्त हुआ है। कुल 5,235.43 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा अभी तक नहीं दिया गया है। इसे जल्द उपलब्ध कराया जाए। राष्ट्रीय पेंशन योजना के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में केंद्र से मिलने 375 करोड़ 44 लाख की राशि मिलनी थी, जिनमे अबतक 78 करोड़ 27 लाख की राशि नहीं उपलब्ध कराई गयी है।
झारखंड ने वित्त आयोग को बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में अनुदान की राशि के रूप में राज्य को 13,925.93 करोड़ रुपये भारत सरकार से प्राप्त होना था, परंतु वित्तीय वर्ष 2024-25 में केवल 9063.00 करोड़ रुपये ही मिला। 4,862.93 करोड़ रु. आज तक नहीं मिला। इस प्रकार अनुदान की राशि में वर्षवार कमी होती जा रही है। इसपर ध्यान देने की आवश्यकता है। झारखंड देश का एक खनिज समृद्ध और वन संपदायुक्त परिपूर्ण राज्य है। इसके बाद भी यह राज्य प्रति व्यक्ति आय के मामले में देशभर में 26वें स्थान पर है।
15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर केंद्र का शुद्ध कर संग्रहण का 41% राज्यों को दिया जा रहा है। राज्यों को मिलने वाला हिस्सा को 41% से बढ़ाकर 55% तक किया जाना चाहिए। जिससे की राज्यों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो सके। 14वें वित्त आयोग में जंगल आधारित राज्यांश की हिस्सेदारी 7.5% है जबकि 15वें वित्त आयोग में 10% थी। यह पर्याप्त नहीं है। इसे बढ़ाने की जरूरत है। खुले वन (Open Forest) को भी इसमें सम्मिलित करने की आवश्यकता है। अभी तक केवल सघन वनों को ही सम्मिलित किया जाता है।
जीएसटी मुआवजे में मिले अतिरिक्त अनुदान
झारखंड ने वित्त आयोग को बताया कि जीएसटी का मुआवजा जो पाँच वर्ष (जुलाई 2017 से जुलाई 2022) तक प्राप्त होता रहा था, जुलाई 2022 के पश्चात बंद है। हमारा राज्य उत्पादक राज्य है, GST उपयोग आधारित कर व्यवस्था होने के कारण हमें इसका नुकसान वहन करना पड़ रहा है। वर्तमान अनुमानों के आधार पर अगले पांच वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2029-30 के दौरान 71,677 करोड़ रुपये के नुकसान का अनुमान है। इस कारण वित्त आयोग से हमारी अपेक्षा है कि इसे ध्यान में रखते हुए अतिरिक्त अनुदान दिया जाए जिससे हो रहे नुकसान से निपटने में हमें मदद मिल सके।