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पारसनाथ पर केंद्र सरकार के फैसले पर रांची में आदिवासी समन्वय समिति ने कहा – पारसनाथ पर्वत में संथाल आदिवासी मरांग बुरु की पूजा करते है, इसका मालिकाना हक़ संथाल आदिवासियों को सौंप दिया जाए

पारसनाथ पर केंद्र सरकार के फैसले से आदिवासी समाज में आक्रोश है. पारसनाथ पहाड़ पर जैन धर्मावलंबियों के पक्ष में आये केंद्र सरकार के फैसले पर आज रांची में आदिवासियों के संयुक्त संगठन ‘आदिवासी समन्वय समिति’ की अहम् बैठक हुई. बैठक में ये तय किया गया कि केंद्र सरकार से ये मांग की जायेगी कि पारसनाथ पहाड़ पर संथाल आदिवासी दशकों से मरांग बुरु की पूजा करते आ रहे है. इस पर्वत पर संथाल आदिवासियों की भी गहरी आस्था है. जैन धर्म के लोगो के लिए ये सम्मेद शिखर है तो आदिवासियों के लिए भी धार्मिक दृष्टिकोण से इस पर्वत का अहम् स्थान है. ऐसे में इस पर्वत व इसके आसपास के इलाके को संथाल आदिवासियों को सौंप दिया जाए. इसका मालिकाना हक़ एवं स्वामित्व संथाल आदिवासियों के हाथो में सौंप दिया जाना चाहिए.

दशकों से आदिवासियों के मरांग बुरु पूजा स्थल की केंद्र व राज्य सरकारों ने अनदेखी की. केस फौदारी अंग्रेजी हुकूमत में भी चला था, मगर जीत संथाल आदिवासियों की हुई थी. आदिवासी समन्वय समिति ने राज्य सरकार से ये भी मांग की है कि राज्य स्तर पर आदिवासी धार्मिक न्यास बोर्ड बनाकर पारसनाथ पहाड़, मरांग बुरु पूजा स्थल व् इसके आसपास के क्षेत्रों की सुरक्षा का जिम्मा बोर्ड को सौंप दिया जाए.

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