HeadlinesJharkhandRanchi

नहीं रही हॉकी की ‘द्रोणाचार्य’ प्रतिमा बरवा, सीएम हेमंत सोरेन ने दी श्रद्धांजलि, जानिये संघर्ष और सफलता से जुडी उनकी अमर कहानी..

प्रतिमा बरवा का जीवन संघर्षों से भरा रहा। वह स्वयं एक खपरैल मकान में रहती थीं और अनुबंधित कोच के रूप में कार्य करती थीं

रांची. हॉकी की मशहूर कोच प्रतिमा बरवा के निधन से खेल जगत में शोक की लहर है। प्रतिमा बरवा, झारखंड की एक समर्पित और प्रेरणादायक हॉकी कोच थीं, जिन्होंने सीमित संसाधनों और कठिन परिस्थितियों में भी महिला हॉकी को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उन्हें झारखंड में हॉकी का ‘द्रोणाचार्य’ भी कहा जाता है। प्रारंभिक जीवन की बात करे, तो प्रतिमा बरवा का जन्म राज्य के खूंटी जिले के तोरपा प्रखंड स्थित कोचा गाँव में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा के बाद पटियाला स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ स्पोर्ट्स (NIS) से कोचिंग में डिप्लोमा प्राप्त किया। वर्ष 2008 में, एक लिगामेंट इंजरी के कारण उनका खिलाड़ी के रूप में करियर समाप्त हो गया, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और कोचिंग के क्षेत्र में कदम रखा। 2008 में प्रतिमा ने झारखंड सरकार के खेल विभाग में अनुबंधित कोच के रूप में कार्य करना शुरू किया। सिमडेगा के एसएस बालिका हॉकी सेंटर में उन्होंने कई प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को प्रशिक्षण दिया, जिनमें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित सह पहली महिला ओलिंपियन सलीमा टेटे, अंतराष्ट्रीय खिलाड़ी संगीता कुमारी, ब्यूटी डुंगडुंग, दीपिका सोरेंग, सुषमा कुमारी जैसी प्रतिभावान खिलाड़ी शामिल है। प्रतिमा ने न केवल इन खिलाड़ियों की प्रतिभाओ को तराशा, बल्कि उन्हें सरकारी नौकरियों में भी स्थान दिलाने में मदद की। उनके द्वारा प्रशिक्षित कई खिलाड़ी रेलवे, सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस में वर्तमान में कार्यरत हैं।

प्रतिमा बरवा का जीवन संघर्षों से भरा रहा। वह स्वयं एक खपरैल मकान में रहती थीं और अनुबंधित कोच के रूप में कार्य करती थीं, बावजूद इसके उन्होंने कभी भी अपने कर्तव्यों से मुह नहीं मोड़ा। उनकी इच्छा थी कि उनकी नौकरी स्थायी हो जाए, ताकि वे और अधिक खिलाड़ियों को प्रशिक्षित कर सकें। 31 मई 2025 को, प्रतिमा बरवा का रांची के पारस अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें गुरुवार शाम को पैरालिसिस का अटैक आया था, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके निधन से झारखंड और देश के खेल जगत में शोक की लहर दौड़ गई। प्रतिमा बरवा का जीवन समर्पण, संघर्ष और प्रेरणा का प्रतीक है। उनकी कमी को पूरा करना संभव नहीं है, लेकिन उनके द्वारा स्थापित की गई विरासत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी उनके निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें “झारखंड की मेहनतकश बेटियों की आदर्श” बताया है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button