लाइव स्पेशल: लाभ की थाली में गरीबो के हक की रोटी मार रही है सक्षम महिलायें, सशक्तिकरण के नाम पर समर्थ महिलाओ का खेल, सरकार कसेगी नकेल..
योजनाओं का उद्देश्य समाज में समानता लाना है, लेकिन जब पहले से सशक्त महिलाएं आगे बढ़ती हैं और वंचित पीछे रह जाती हैं, तो सशक्तिकरण केवल एक वर्ग तक सीमित रह जाता है।

Ranchi. झारखंड में गरीब महिलाओ को सशक्त और स्वावलंबी बनाने की हेमंत सरकार की अभूतपूर्व पहल का सक्षम महिलायें भी दुरूपयोग कर रही है। मइयां सम्मान योजना में गरीब महिलाओ को मिलने वाली आर्थिक सुविधा की सीढ़ी चढ़कर समर्थ महिलायें भी सरकारी लूट मचा रही है। धोखे से अपना नाम मइयां सम्मान योजना के लाभुकों में दर्ज कराकर वेतनभोगी और समर्थ महिलायें भी मइयां सम्मान योजना का लाभ ले रही है। अब सरकार ऐसी महिलाओ के सशक्तिकरण के नाम पर चालाकी भरे खेल का काम तमाम करने जा रही है। हेमंत सरकार के मंत्री चमड़ा लिंडा ने आज साफ़ संकेत दे दिया कि गरीब और जरूरतमंद महिलाओ के लाभ की थाली से निवाला मार रही सक्षम महिलाओ को लाभुक लिस्ट से बाहर किया जाएगा। ऐसी महिलायें अब लिस्ट से बाहर होने के डर से भले ही चुनावी वादों का कितना ही ढिंढोरा पीटे, मगर सच तो ये है कि किसी भी सरकार में सक्षम या समर्थ नागरिको को सरकारी लाभ नहीं दिया जाता है। चाहे वह आवास योजना हो, राशन कार्ड हो, आयुष्मान योजना हो, उज्ज्वला योजना हो, स्कालरशिप योजना या कोई और जनहित की योजनाएं। सरकारी सहायता को रेवड़ी समझने वाली सक्षम महिलाओ को अब जल्द ही मइयां सम्मान लिस्ट से बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी है। मंत्री चमड़ा लिंडा ने आज साफ़ कर दिया कि मइयां सम्मान योजना की पात्रता जांचने के लिए एक बार फिर बड़े पैमाने पर सर्वे होगा। जरुरतमंदो को राशि मिलेगी, और जो सक्षम, समर्थ और आत्मनिर्भर है उन्हें राशि नहीं दी जाएगी। सर्वे में महिलाओ को अपनी पात्रता साबित करनी होगी।
सरकार ऐसी योजनाओं को लक्षित करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि वे जरूरतमंद महिलाओं तक पहुँचें, न कि सक्षम महिलाओं को अनावश्यक लाभ मिले। सरकार सक्षम महिलाओ के सशक्तिकरण के लिए अनेक योजनाएं चला रही है। जिसका वे लाभ ले सकती है। हमें इस बात को समझना बेहद जरूरी है कि इन योजनाओं का उद्देश्य समाज में समानता लाना है, लेकिन जब पहले से सशक्त महिलाएं आगे बढ़ती हैं और वंचित पीछे रह जाती हैं, तो सशक्तिकरण केवल एक वर्ग तक सीमित रह जाता है। सामाजिक न्याय की भावना में “समान अवसर” का मतलब होता है – असमानता की भरपाई। यदि सबको एक ही स्तर पर माना जाए, तो जिनके पास कुछ नहीं है, वे कभी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। नीतियों का उद्देश्य तभी सफल होगा जब लाभ सही हाथों में पहुंचे।