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जन्मदिन के मौके पर पति हेमंत सोरेन से मिलने जेल पहुंची कल्पना सोरेन, पढ़ने के लिए दी पुस्तके, बोली – झारखंड ने झुकना नहीं, सिर्फ आगे बढ़ना सीखा है

रांची. पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने आज सादगी से अपना जन्मदिन मनाया। हेमंत सोरेन के जेल में रहने की वजह से उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने उनसे होटवार जेल जाकर मुलाक़ात की। कल्पना ने हेमंत को तीन पुस्तके पढ़ने के लिए दी, जबकि हेमंत सोरेन ने पुष्पगुच्छ देकर कल्पना सोरेन को जनमंदिन की बधाई दी। होटवार से निकलने के बाद कल्पना ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। कल्पना ने एक्स में लिखा – आज मेरे जन्मदिन के अवसर पर हेमंत जी से जेल में मुलाकात की। उनकी तरफ से अप्रतिम पुष्पगुच्छ मिला। 18 वर्षों में यह पहला अवसर है जब जन्मदिन के अवसर पर हेमन्त जी परिवार के साथ नहीं हैं।

“आज भले ही केंद्र की भाजपा सरकार के षड्यंत्र के चलते हेमन्त जी को अपनी जनता से दूर हुए 1 महीने से अधिक हो गए हैं, मगर वह वहां भी पल-पल झारखण्ड और झारखण्डियों के बारे में ही सोचते हैं। भाजपा को लगता है कि एक झारखण्डी योद्धा को षड्यंत्र के तहत परेशान करने की उनकी कोशिश कामयाब हो गयी है, तो यह उनकी बहुत बड़ी और भारी भूल है। हेमन्त जी का संघर्ष, हेमन्त जी का आत्मविश्वास, हेमन्त जी का राज्यवासियों के प्रति अविचल प्रेम और समर्पण को देख झारखण्ड का हर घर एक ही उद्घोष कर रहा है – हेमन्त है तो हिम्मत है, झारखण्ड झुकेगा नहीं।”

हेमंत सोरेन को सप्रेम भेंट की गयी पुस्तकों के बारे में उन्होंने लिखा – हेमंत जी ने पढ़ने के लिए किताबें मांगी हैं। उन्हें यह किताबें देने जाऊंगी। इससे पहले भी हेमंत जी ने झारखण्ड आंदोलन, मुण्डारी, हो और कुड़ुख भाषा, आदि से जुड़ी किताबें पढ़ने के लिए मंगायी थी। हेमंत जी को किताबें पढ़ने का हमेशा से शौक रहा है। वह घर में अपनी किताबों को बहुत प्रेम से संजों कर रखते हैं। अन्य किताबों के साथ-साथ झारखण्ड और झारखण्ड आंदोलन से जुड़ी किताबें वह हमेशा विशेष रुचि ले कर पढ़ते रहे हैं। राज्य की बागडोर संभालने के बाद उन्होंने उनसे मिलने वाले सभी लोगों से ‘बुके नहीं बुक’ देने की अपील की थी। जिसके परिणामस्वरूप पिछले 4 वर्षों में उन्हें हजारों किताबें मिली।

राज्य, शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़े, यही हेमंत जी का सपना रहा है। राज्य के हर पंचायत में आमजन के लिए लाइब्रेरी खोलने की उनकी इच्छा आज हमें कई जगह देखने को मिलती है। सरकारी स्कूलों में उत्कृष्ट पढ़ाई हो, बच्चों की छात्रवृत्ति में वृद्धि हो, गरीब परिवार की बेटियों को आर्थिक मदद मिले, उनकी पढ़ाई न छूटे, वंचित समाज के युवा भी अपने सपनों को साकार करते हुए विदेश में शिक्षा ले सकें हेमंत जी का यही संकल्प रहा है।

भाजपा अपने कुचक्रों से उन्हें कुछ तो देर तो परेशान कर सकती है – पर एक झारखण्डी योद्धा की सोच और संकल्प को वह कैसे दबा पायेगी? राज्य में शिक्षा की जो क्रांति हेमंत जी ने शुरू की है वह निरंतर आगे बढ़ रही है। झारखण्ड ने झुकना नहीं, सिर्फ आगे बढ़ना सीखा है।

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