सरना धर्मकोड पर भाजपा की राष्ट्रीय मंत्री सह रांची की महापौर आशा लकड़ा का बड़ा बयान, बोली – सरना केवल एक पूजा स्थल है, और पूजा स्थल के नाम से कोई धर्म कोड नहीं होता है
आशा लकड़ा ने आगे कहा कि सरना धर्म कोड मिल भी जाए तो इससे आदिवासियों को क्या मिलेगा, उलटा इससे जातिगत बंटवारा होगा. अगर यह कोड मिल भी जाए तो इससे हमें क्या लाभ है.

भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय मंत्री सह रांची की महापौर आशा लकड़ा ने सरना धर्म कोड को लेकर बड़ा बयान दिया है. आशा लकड़ा ने रांची में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि सरना केवल एक धर्म स्थल है, और धर्म स्थल के नाम पर आजतक कहीं कोई धर्म कोड नहीं दिया गया है. आशा लकड़ा ने आगे कहा कि सरना धर्म कोड मिल भी जाए तो इससे आदिवासियों को क्या मिलेगा, उलटा इससे जातिगत बंटवारा होगा. अगर यह कोड मिल भी जाए तो इससे हमें क्या लाभ है.
आशा लकड़ा ने कहा कि आदिवासी समाज में सात सौ प्रकार के लोग है. क्या छत्तीसगढ़, अरुणाचल प्रदेश, या साउथ के लोग सरना धर्म को मानते है. दक्षिणी छोटानागपुर के लोग सरना कोड की मांग करते है, मगर संथाल के लोग नहीं करते. आशा लकड़ा ने कहा कि सरना केवल एक पूजा स्थल है, और पूजा स्थल के नाम पर कोई धर्मकोड नहीं होता है. केवल संथाल परगना, छत्तीसगढ़ का कोई इलाका, एमपी का छोटा सा इलाका और ओडिशा का कुछ इलाका सरना मानता है. 1932 के खतियान पर भी आशा लकड़ा ने अपनी राय दी. आशा ने कहा की 1932 जेएमएम के घोषणा पात्र का एजेंडा था, यह केंद्र सरकार का एजेंडा नहीं है.