
कुरमी/कुड़मी को आदिवासी बनाने की मांग के खिलाफ आदिवासी संगठन आक्रोशित है. अब झारखंड समेत बंगाल और ओडिसा के आदिवासी संगठन सड़क से सदन तक इस मुद्दे को लेकर आंदोलन करने की तैयारी कर रहे है. शनिवार को झारखंड के विभिन्न आदिवासी संगठनों के पदाधिकारी, प्रतिनिधियों और बुद्धिजीवियों की एक महत्वपूर्ण बैठक धूमकुड़िया सभागार करमटोली रांची में हुई. इस बैठक में कई निर्णय लिए गए. कुड़मी/कुरमी जाति के लोगों द्वारा आदिवासी बनने का आंदोलन और षडयंत्र के खिलाफ आदिवासी पहचान, हक-अधिकार को बचाने के लिए आगामी 26 फरवरी 2023 को आदिवासी बचाओ महारैली रांची में आयोजित की जाएगा. बैठक में धनबाद, बोकारो, गिरिडीह, पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला-खरसावां, खूंटी, गुमला, लोहरदगा, रांची, रामगढ़, हजारीबाग जिले के प्रतिनिधि शामिल हुए. इस बैठक में विभिन्न आदिवासी संगठनों के नेताओं ने अपने-अपने महत्वपूर्ण विचारों और सुझावों को रखा.
बैठक में ये भी तय हुआ कि कुड़मी/कुरमी जाति के लोगों द्वारा आदिवासी बनने का आंदोलन और षडयंत्र के खिलाफ आदिवासी संगठनों का संयुक्त प्रतिनिधिमंडल महामहिम राष्ट्रपति और भारत सरकार से भी मिलेगा. इसके आलावा पूरे झारखंड सहित उड़ीसा और बंगाल के विभिन्न जिलों/ स्थानों में सांकेतिक विरोध के रुप में पुतला दहन भी किया जाएगा.
बैठक में मुख्य रुप से पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव, पूर्व मंत्री देवकुमार धान, पूर्व सांसद चित्रसेन सिंकू, आदिवासी अधिकार रक्षा मंच के संयोजक लक्ष्मी नारायण मुंडा, आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा, केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की, अजीत उरांव, अनिल कुमार टुडू, यदुनाथ तियू, गब्बर सिंह हेंब्रम, जलेश्वर भगत, सोमा मुंडा, एल. एम उरांव, अभय भुटकुंवर, दिनेश मुंडा, एनजी सिंह, पीसी मुर्मू, निरंजना हेरेंज, संदीप उरांव समेत अन्य नेताओं ने संबोधित किया.
कार्यक्रम में मुख्य रुप से आदिवासी महासभा, अखिल भारतीय आदिवासी विकास परिषद, केंद्रीय सरना समिति, आदिवासी अधिकार रक्षा मंच, आदिवासी जन परिषद, आदिवासी छात्र संघ, सोनोत संथाल समाज, आदिवासी हो समाज महासभा, कोल्हान एकता मंच, आदिवासी हो समाज युवा महासभा, राष्ट्रीय आदिवासी छात्र संघ, आदिवासी युवा शक्ति, राष्ट्रीय आदिवासी मुंडा परिषद, सहित कई आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधि और पदाधिकारी उपस्थित थे.