पेपर लीक की अफवाह फैलाने वाले असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई के लिए आयोग ने मुख्य सचिव को लिखा पत्र, कड़ी कार्रवाई की मांग
झारखंड लोक सेवा आयोग ने अफवाह फैलाने या भ्रामक वीडियो प्रसारित करने वाले परीक्षार्थियों और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़े एक्शन के लिए राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है।

रांची. जेपीएससी सिविल सेवा प्रारंभिक परीक्षा के पेपर लीक की अफवाह फैलाने वाले तत्वों के खिलाफ अब आयोग ने सख्त रुख अपना लिया है। झारखंड लोक सेवा आयोग ने अफवाह फैलाने या भ्रामक वीडियो प्रसारित करने वाले परीक्षार्थियों और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़े एक्शन के लिए राज्य के मुख्य सचिव को पत्र भेजा है। जेपीएससी ने ऐसे लोगो की पहचान कर उनके खिलाफ झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनो की रोकथाम व निवारण के उपाय) अधिनियम, 2023 के तहत सख्त कार्रवाई का निर्देश देने की अनुशंसा राज्य के मुख्य सचिव से की है। आयोग की ओर से इसकी प्रतिलिपि राज्य के गृह सचिव और पुलिस महानिदेशक को भी भेज दी गयी है।
एसआईटी ने सौंपी रिपोर्ट
पेपर लीक की अफवाह के बाद राज्य सरकार की ओर से इसकी निष्पक्ष जांच के लिए एसआईटी का गठन किया गया था। एसआईटी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंप दी है। इसमें केंद्रों से परीक्षा पत्र लीक होने का खंडन करते हुए इसे असामाजिक तत्वों द्वारा फैलाई गयी अफवाह बताया गया है। वायरल वीडियो की जांच के लिए साइबर सेल की मदद ली जा रही है।
दर्ज हुई प्राथमिकी, 70 से अधिक नामजद
जेपीएससी पर्चा लीक की अफवाह फैलाने के मामले में अबतक 70 लोगो के खिलाफ नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है। जामताड़ा, चतरा और धनबाद में यह प्राथमिकी दर्ज की गयी है। इन लोगो के ऊपर झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनो की रोकथाम व निवारण के उपाय) अधिनियम, 2023 के तहत मामला दर्ज किया गया है।
क्या है सजा का प्रावधान?
झारखंड प्रतियोगी परीक्षा (भर्ती में अनुचित साधनो की रोकथाम व निवारण के उपाय) अधिनियम, 2023 के अंतर्गत किसी तरह की अफवाह, नक़ल करना, या भ्रामक/तथ्यहीन सूचनाएं फैलाना दंडनीय अपराध है। इसमें कारावास के साथ साथ जुर्माने का प्रावधान भी है। अधिनियम में झारखंड सरकार द्वारा आयोजित प्रतियोगी परीक्षाओं में धोखाधड़ी और पेपर लीक के लिए कड़ी सजा का प्रावधान है। इस कड़े कानून में पेपर लीक और नकल से जुड़े मामलों में बगैर प्रारंभिक जांच के एफआईआर और गिरफ्तारी का भी प्रावधान किया गया है। पेपर लीक और किसी प्रतियोगी परीक्षाओं के बारे में भ्रामक जानकारी प्रचारित-प्रसारित करने वाले भी इस कानून के दायरे में आते है। यह कानून राज्य लोक सेवा आयोग, राज्य कर्मचारी चयन आयोग, भर्ती एजेंसियों, निगमों और निकायों द्वारा आयोजित होने वाली परीक्षाओं में लागू है।
पेपर लीक से जुड़े मामलों को लेकर इस कानून में सबसे सख्त प्रावधान किए गए हैं। इसमें परीक्षाओं के संचालन से जुड़े व्यक्ति, एजेंसियां, प्रिंटिंग प्रेस एवं षड्यंत्र में शामिल लोग इसके दायरे में आते है। अगर कोई प्रिंटिंग प्रेस, परीक्षा आयोजित करने वाला प्रबंधन तंत्र, परिवहन से जुड़ा व्यक्ति या कोई कोचिंग संस्थान साजिशकर्ता की भूमिका निभाता है, तो 10 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है। इसमें 2 करोड़ से 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाने का भी प्रावधान है। जुर्माना न देने पर तीन साल की अतिरिक्त सजा भुगतनी होगी।