
रांची. झारखंड के विभिन्न विभागों में फंड की कमी है। नतीजतन सरकारी काम काज बुरी तरह प्रभावित हो गया है। फंड की कमी का रोना रो रहे विभागों के पास पिछले14 वर्षो में पीएल खातों में ही 16,575 करोड़ रुपये पड़े है। वित्त विभाग ने पीएल और सिविल डिपॉजिट की समीक्षा के दौरान पाया कि इन दोनों ही खातों में बड़ी राशि पड़ी हुई है, जिसे खर्च नहीं किया गया है। जिसके बाद पीएल खाते में जमा 16,575 करोड़ रुपये राज्य कोष में जमा कराने का निर्देश दिया गया है। 15 दिन के भीतर राशि जमा नहीं करने वाले विभागों के पीएल खातों को फ्रीज कर दिया जाएगा।
समीक्षा के दौरान वित्त मंत्री राधा कृष्ण किशोर को बताया गया कि विभागों को पीएल खाते में जमा जिस राशि को वित्तीय वर्ष 2010-11 में ही खर्च करना था, उसे खर्च नहीं किया जा सका है। राशि अगले वित्तीय वर्ष में फॉरवर्ड किया जाता रहा है। यह सही नहीं है। वित्तीय वर्ष 2010-11 से अबतक खर्च नहीं हो पाने वाली राशि पीएल खातों में ही पड़ी हुई है। यह इतनी राशि है कि लगातार दो वर्षो तक विभागीय कामकाज में इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। चालु योजनाओ में खर्च के लिए वित्तीय प्रबंधन के तहत सभी विभागों को राशि खर्च करने की छूट दी गयी है। बावजूद इसके पड़ी हुई राशि खर्च नहीं हो पा रही है। वित्तीय वर्ष 2023-24 की समाप्ति के दौरान जिस राशि को पीएल खाते में भेजा गया था, उसे वित्तीय वर्ष 2024-25 में खर्च किया जाना था। मगर सभी विभागों ने अबतक पीएल खाते की राशि का उपयोग नहीं किया है।
पीएल खातों में इतना पैसा कि एक साल तक मइयां सम्मान योजना का खर्च उठा सकती है सरकार
राज्य सरकार मइयां सम्मान योजना के लिए 15000 करोड़ सालाना खर्च कर रही है। राज्य की महिलाओ को स्वावलंबी बनाने के लिए लागू की गयी इस योजना के लिए सरकार को वित्तीय प्रबंधन पर जोर देना पड़ रहा है। मगर पीएल खातों की राशि ही केवल राजकोष में जमा हो जाये तो साल भर का खर्च पूरा किया जा सकता है। वित्त मंत्री ने इसे गंभीरता से लेते हुए सभी विभागों को पीएल खाते की राशि जमा करने का निर्देश दिया है।
सिर्फ पीएल में ही नहीं, सिविल डिपॉजिट में भी पड़े है पैसे
केवल पीएल खातों में ही नहीं, विभागों के सिविल डिपॉजिट में भी 8,191.80 करोड़ रुपये पड़े है। सिविल डिपॉजिट से पैसो की निकासी कर कुछ विभाग खर्च तो पूरा कर रहे है, मगर दोनों खातों में खर्च ना किये जाने वाली राशि लगातार बढ़ती जा रही है।



