
रांची. छठ महापर्व लोक आस्था का सबसे महान पर्व माना जाता है। ये पर्व जितना महान है उतना ही कठिन भी है। छठ महापर्व सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के घर-घर में होने वाला पर्व है। जो अपने घर में छठ नहीं करते, वह दूसरों के घर में जाकर करते हैं। जो दूसरों के घर पर नहीं जाते, वह घाट पर जाकर अर्घ्य देते हैं। कोई मनोकामना के साथ करता है, तो कोई मनोकामना पूरा होने पर करता है, तो बहुत सारे लोग केवल आस्था के कारण छठ महापर्व को करते या इसमें भाग लेते है। मनोकामना छठी मइया पूरी करती हैं और आस्था सूर्यदेव के प्रति दिखाई जाती हैं।
सूर्यदेव को अर्घ्य, तो छठी मइया कौन हैं?
अक्सर ये सवाल उन लोगों के मन में आता है, जो छठ पर्व नहीं करते या इसमें केवल अर्घ्य देते है। यदि आपके मन में भी कभी ना कभी यह सवाल आया है, तो आज इस गूढ़ रहस्य को जान लीजिये। सूर्यदेव तो इस प्रकृति के ऊर्जा स्रोत हैं। मगर छठी मइया देवी कात्यायनी हैं। यह सूर्यदेव की बहन हैं। नवरात्र में भी हम देवी कात्यायनी की पूजा षष्ठी को करते हैं, मतलत नवरात्र के छठे दिन आदिशक्ति मां दुर्गा के छठे स्वरुप की आराधना की जाती है। सनातन हिंदू धर्म में जन्म के छठे दिन भी देवी कात्यायनी की ही पूजा होती है। संतान प्राप्ति के लिए भी इन्ही का ध्यान किया जाता है। संतान के चिरंजीवी, स्वास्थ्य और अच्छे जीवन के लिए देवी कात्यायनी को प्रसन्न किया जाता है। छठी मइया यहीं देवी कात्यायनी हैं। देवी कात्यायनी को ही महिषासुर मर्दिनी भी माना गया है। नवरात्र में इनके शक्ति स्वरुप की पूजा होती है, वहीं छठ में इनके मातृ स्वरुप की पूजा की जाती है। शेष, छठ में सूर्यदेव की पूजा तो घाट पर होती है, मगर खरना पूजा पहले छठी मइया को समर्पित किया जाता है।
हालांकि देवी कात्यायनी की नवरात्रि पूजन और छठ पूजन में फर्क होता है। नवरात्र में जहां देवी कात्यायनी की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है, वहीं छठ में किसी प्रकार के यज्ञ, हवन, पंडित, पुरोहित या कर्म-कांड की जरुरत नहीं होती। छठ के दौरान मां कात्यायनी को मन की पवित्रता से प्रसन्न किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि खरना के साथ ही छठ व्रतियों के घरों में माता कात्यायनी का प्रवेश हो जाता है। कुछ जगहों में छठ व्रतियों को भी छठी मैया माना गया है। ऐसा इसीलिए क्योंकि छठ के दौरान छठ पूजा करने वालों के दर्शन कर लेने या उन्हें सहयोग करने मात्र से भी छठ पूजा का फल प्राप्त किया जा सकता है।
बिहार या पूर्वी उत्तरप्रदेश के कई हिस्सों में देवी कात्यायनी के साथ-साथ माता अदिति को भी छठी मैया माना गया है। ऐसा इसीलिए क्योंकि इन्ही की कोख से सूर्य देव का जन्म हुआ था। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार सूर्य देव के पिता का नाम महर्षि कश्यप और उनकी माता का नाम अदिति था। माता अदिति की कोख से जन्म लेने की वजह से ही सूर्य देव का नाम आदित्य हुआ।