
नयी दिल्ली. तीन और चार सितम्बर को होने वाली जीएसटी परिषद की बैठक से पहले आज दिनांक कर्नाटक भवन, नई दिल्ली में 8 (आठ) राज्यों (झारखण्ड, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना एवं पश्चिम बंगाल) के वित्त मंत्री /वाणिज्य-कर मंत्री/राजस्व मंत्री की अहम बैठक आयोजित की गयी। इस बैठक का उद्देश्य आगामी जी.एस.टी परिषद् द्वारा आहूत बैठक में प्रस्तावित जीएसटी दरों के सरलीकरण के प्रस्ताव पर संयुक्त रूप से विचार–विमर्श किया गया।
केन्द्र सरकार का प्रस्ताव है कि GST दरों के चार स्लैब (5%, 12%, 18% एवं 28%) को युक्तिसंगत बनाते हुए 12% एवं 28% के स्लैब को समाप्त किया जाये। जिन मालों एवं सेवाओं के कर की दरों को घटाने का प्रस्ताव है उससे सरकारी स्तर पर कर की प्राप्तियों के मूल्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ने की आशंका है तथा देश की आर्थिक स्थिति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। परंतु वर्तमान में जी.एस.टी परिषद् द्वारा जो दर सरलीकरण का प्रस्ताव लाया गया है उस निर्णय से राज्यों के ऊपर पड़ने वाले वित्तीय भार का आकलन नहीं किया गया है।

उल्लेखनीय है कि, 1, जुलाई, 2017 के पूर्व देश में डायरेक्ट टैक्स रिफॉर्म्स के तहत GST की शुरुआत की गयी, जो मूल रूप में डेस्टिनेशन बेस्ड टैक्स है। जी.एस.टी. कर प्रणाली के अन्तर्गत माल और सेवाओं के उपभोग (Consumption) के आधार पर राज्यों को GST कर प्राप्त होता है।
झारखण्ड एक छोटा विनिर्माण राज्य (Manufacturing State) है। माल और सेवा कर प्रणाली के क्रियान्वयन से इसके आंतरिक राज्यसंघ कर प्रतिकर प्रभाव पड़ते हैं। झारखण्ड कोयला, लौह अयस्क, बॉक्साइट इत्यादि के खनन में अग्रणी राज्य है। राज्य के खनिज संपदा से प्राप्त कर खनिजों की अधिकताओं: अन्तर्राज्यीय आपूर्ति होता है। वैल्यू एडेड टैक्स में अन्तर्राज्यीय आपूर्ति पर राज्य को जी.एस.टी. के रूप में राज्यों संघटक को प्राप्त होता है। जबकि GST के संरचनात्मक परिवर्तन के कारण अन्तर्राज्यीय आपूर्ति पर राज्यों को प्राप्त होना बंद हो गया है।

1 जुलाई, 2017 से देश में माल और सेवा कर प्रणाली क्रियान्वित की गयी जिसके परिप्रेक्ष्य अगले 05 वर्षों तक केन्द्र सरकार द्वारा राज्यों को 14 प्रतिशत प्रोटेक्टेड रेवेनुए के अनुसार कंपनसेशन राशि का भुगतान किया जाता था। प्रोटेक्टेड रेवेनुए के भुगतान की अवधि वर्ष 2017–18 से 2022–23 (जून, 2022 तक) तक केन्द्र सरकार द्वारा क्षतिपूर्ति का भुगतान किया जाता रहा है।
प्रस्तावित एजेंडा में GST दर सरलीकरण से राज्यों पर पड़ने वाले वित्तीय भार का आकलन नहीं किया गया। राज्य में होने वाली कमी से राज्यों के राज्य संघटक को कोई व्यवस्था सुनिश्चित नहीं की गयी है।

झारखण्ड राज्य का मन्तव्य है कि प्रस्तावित एजेंडा पर इस शर्त के साथ सहमति दी जा सकती है कि GST की दरों में बदलाव के कारण राज्यों को होने वाले राजस्व हानि की भरपाई GST कंपनसेशन से किया जाय। अनुमानित आकलन के अनुसार झारखण्ड राज्य को लगभग 2000 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष राजस्व की प्राप्ति नहीं हो सकेगी।
इसी परिप्रेक्ष्य पर आज दिनांक 29 अगस्त, 2025 को 8 (आठ) राज्यों के द्वारा संयुक्त रूप से विचार–विमर्श के उपरांत सहमति बनी कि प्रस्तावित GST दर सरलीकरण पर एक संयुक्त ज्ञापन जी.एस.टी. परिषद् को समर्पित किया जाएगा, जिसमें मूल रूप से राज्यों के राजस्व संरक्षा के विषय को ध्यान में रखते हुए कंपनसेशन की व्यवस्था स्थापित करते हुए इसे लागू करने का सुझाव भारत सरकार को समर्पित किया जा रहा है।
वस्तु और सेवा कर (जी.एस.टी) केन्द्र और राज्यों के बीच एक साझा राजकोषीय बंधन है, जो सर्वसम्मति और सहकारी संघवाद के सिद्धांत पर आधारित है। दरों का सरलीकरण और युक्तिकरण (सरलीकरण और युक्तिकरण) नितांत आवश्यक है, लेकिन इसे राज्यों की राजकोषीय स्थिरता (राज्यों की राजकोषीय स्थिरता) की कीमत पर नहीं अपनाया जाना चाहिए। यदि वर्तमान प्रस्ताव को बिना किसी कंपनसेशन के लागू किया जाता है, तो इससे राज्यों के राजस्व को भारी नुकसान होगा, राजकोषीय असंतुलन बढ़ेगा और इसलिए यह वर्तमान स्वरूप में अस्वीकार्य है।
इसलिए, राज्यों का यह सुविचारित अनुशंसा है कि दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए एक पुनर्गठित कर ढाँचा बने, जिसमें Sin और Luxury की वस्तुओं पर एक उच्च दर लगे, और अन्य वस्तुओं एवं सेवाओं की हानि की पूरी गारंटीपूर्वक मुआवज़ा की व्यवस्था होनी चाहिए। केवल ऐसा सुविचारित कदम ही देश की राजकोषीय स्वास्थ्यता को रक्षा करेगा और साथ ही सहकारी संघवाद की सच्ची भावना के साथ जीएसटी सुधार के उद्देश्यों को और आगे बढ़ाएगा।
जीएसटी के लागू होने के आठ साल बाद जीएसटी का सरलीकरण किया जा रहा है। पहले का जीएसटी सरल नहीं था क्या ? हिंदुस्तान में सामाजिक एकता है तभी आर्थिक मजबूती है। केंद्र सरकार जीएसटी के माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर रही है। ये सिर्फ आठ राज्यों का मामला नहीं है, भाजपा शासित राज्यों के सीएम भी जीएसटी में सुधार चाहते है, मगर बोल नहीं पाते है। झारखंड जीएसटी में सुधार के लिए लोकतांत्रिक तरीके से अपनी बात रखेगा। जीएसटी के मामले में देश को रबर स्टाम्प नहीं बनने देंगे। जीएसटी कम्पनसेशन तबतक बढ़ाया जाए, जबतक केंद्र द्वारा समीक्षा के बाद यह सुनिश्चित ना कर लिया जाए कि अब हमारी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं हो जाती। – राधा कृष्ण किशोर (वित्त मंत्री, झारखंड)



