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स्पेशल रिपोर्ट : अवसर मिलने से पहले ही आयु ना निकल जाए, इसीलिए सरकार ले रही है युवाओ की राय.. अमृत पीढ़ी के विचार से चलेगी हेमंत सरकार

झारखंड में बदलाव हो रहा है. ये बदलाव ना सिर्फ धरातल पर दिख रहा है, बल्कि विचारो में भी बदलाव देखने को मिल रहा है. कल तक जहां सरकारी दफ्तरों में बड़े बाबू बैठकर अपनी मर्जी से राज्य के लिए नीतियां तय करते थे, और जो नीतियां सरकारी दफ्तरों में बैठकर बनायी जाती थी. अब उसके लिए सीधा जनता से संवाद का रास्ता चुना गया है. अबुआ सरकार यानी हेमंत सरकार ने अब बजट हो या कोई भी नीति निर्माण का कार्य, ये लोकतंत्र में लोकसहभगिता से ही सुनिश्चित करने का निर्णय लिया है.

झारखंड में पहली बार बजट से पहले विभिन्न जिलों में चर्चा और संवाद हो रहा है. सरकार बुद्धजीवियों, पदाधिकारियों से मिलकर बजट की रूप रेखा तैयार करने में जुटी है. तो वहीं नियुक्तियों का द्वार जल्द खुले और झारखंडियों को नियोजन और सरकारी नियुक्तियों का लाभ मिले इसके लिए नियोजन नीति जैसी प्रमुख नीतियों के निर्माण पर भी सरकार का जोर है. सरकार इस बार हर पहलुओं पर विचार विमर्श कर नीति बनाने जा रही है. ताकि नयी नियोजन नीति को कोर्ट में चुनौती ना दी जा सके. 1932 के खतियान के आधार पर स्थानीय नीति बनाये जाने का प्रस्ताव पास कर इसे केंद्र को नौवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए भेजा गया है. नौवीं अनुसूची में शामिल होने के बाद झारखंड के 1932 खतियानधारियों को सरकार की नियुक्तियों में वरीयता का रास्ता साफ़ हो जाएगा.

मगर हेमंत सरकार ये जानती है, कि सियासी दांव पेंच में उलझकर झारखंड के युवाओ का भविष्य दांव पर नहीं लगाया जा सकता है. 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति को केंद्र नौवीं अनुसूची में कब शामिल करेगा या नहीं करेगा. ये केंद्र के पाले में है. मगर इन सब के बीच राज्य के प्रतिभावान युवाओ को रोजगार मिले, उनकी आयु निकलने से पहले उन्हें अवसर मिले. इसका ख्याल भी सरकार रख रही है. इस ओर संवेदनशीलता दिखाते हुए हेमंत सरकार ने युवाओ का द्वार ही खटखटाया है.

बिना नियोजन नीति के नियुक्तियां असंभव है. और राज्य हित में बनी खतियान आधारित स्थानीय नीति को केंद्र की मंजूरी मिलने में विलंब हो रहा है. ऐसे में बीच का रास्ता क्या होना चाहिए. इसे लेकर सरकार ने युवाओ के बीच संवाद शुरू कर दिया है. अब राज्य में प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी कर रहे युवाओ के बीच सरकार की ओर से सर्वे कराया जा रहा है. जिसमे उनसे इस बारे में पूछा जायेगा कि नियोजन का क्या नियम होना चाहिए. जिससे युवाओ की नियुक्ति भी हो जाए, और उनकी आयु भी बनी रहे. सरकार 2016 में बनी नियोजन नीति को फिलहाल नियुक्तियों में इस्तेमाल करने का विचार कर रही है. इससे युवाओ को कम से कम सरकारी नौकरियों में अवसर मिलना शुरू हो जाएगा.

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