
साहिबगंज: सीबीआइ को साहिबगंज की महिला थाना प्रभारी रूपा तिर्की की हत्या के साक्ष्य नहीं मिले हैं। सीबीआइ ने यह भी माना है कि उसने स्वयं ही आत्महत्या की। उसे किसी ने प्रताड़ित नहीं किया। एक साल की जांच-पड़ताल के बाद बुधवार को सीबीआइ इंस्पेक्टर जीके अंशु ने अपनी क्लोजर रिपोर्ट एडीजे प्रथम धीरज कुमार की अदालत में फाइल कर दी। हालांकि, इसे स्वीकृत या अस्वीकृत करना कोर्ट पर निर्भर है। इस मामले की अगली सुनवाई झारखंड हाईकोर्ट में 12 अक्टूबर को होनी है जिसके बाद इस मामले में अदालत का रुख स्पष्ट हो पाएगा। इससे पूर्व रूपा तिर्की मामले को धनबाद कोर्ट में ट्रांसफर करने के लिए सीबीआइ ने एडीजे प्रथम की कोर्ट में अर्जी दी थी। लेकिन ट्रायल का हवाला देते हुए कोर्ट ने इससे इन्कार कर दिया था। इसके बाद केस के ट्रांसफर के लिए सीबीआइ ने झारखंड हाइकोर्ट में याचिका दाखिल की। इसपर विगत दो सितंबर को सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने साहिबगंज एजीडे प्रथम की अदालत में चल रही ट्रायल पर रोक लगा दी थी। हाईकोर्ट ने इस मामले में राज्य सरकार से भी जवाब मांगा था।
क्या है मामला?
रूपा तिर्की का शव तीन मई 2021 को उसके सरकारी क्वाटर में फंदे से लटकता मिला था। पुलिस ने इसे आत्महत्या माना था तथा इसके लिए प्रेरित करने के आरोप में रूपा तिर्की के बैचमेट शिव कनौजिया को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था। फिलहाल शिव कनौजिया जमानत पर है। उधर, रूपा तिर्की के स्वजनों ने इसे हत्या तथा मामले में विधायक प्रतिनिधि पंकज मिश्रा व अन्य की संलिप्तता की आशंका जताते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी। इसके लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की गयी थी। हाईकोर्ट ने सीबीआइ को दो विंदुओं पर जांच कर रिपोर्ट देने को कहा था। इसमें एक यह था कि उसने आत्महत्या की है या उसकी हत्या की गयी है। दूसरी, अगर उसने आत्महत्या की है तो क्या किसी ने उसे प्रताड़ित किया। पिछले साल एक सितंबर को हाईकोर्ट ने मामले की जांच का निर्देश सीबीआइ को दिया। इसके बाद सात सितंबर को सीबीआइ के पटना कार्यालय ने केस दर्ज कर इसकी जांच शुरू की। नौ सितंबर को सीबीआइ पहली बार यहां पहुंची और जांच शुरू की। इस क्रम में साहिबगंज में सीबीआइ का कैंप कार्यालय भी खोला गया। जांच के क्रम समय-समय पर सीबीआइ यहां आती रही। अप्रैल में ही मामले की जांच पूरी हो गयी। लेकिन केस ट्रांसफर न होने की वजह से मामला अटका हुआ था। कानूनी विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा के बाद सीबीआइ ने एडीजे प्रथम की अदालत में क्लोजर रिपोर्ट फाइल कर दी। अगर हाईकोर्ट सीबीआइ की क्लोजर रिपोर्ट को सही मान लेती है तो इस मामले में पुलिस द्वारा आरोपित बनाये गये शिव कनौजिया को भी राहत मिल जाएगी।
सीबीआइ ने करीब 19 पेज की क्लोजर रिपोर्ट सौंपी है। सूत्रों की मानें तो धनबाद में जज हत्याकांड में सीबीआइ की हुई फजीहत को देखते हुए सीबीआइ अधिकारी फूंक-फूंक कर कदम रख रहे थे। इस वजह से भी जांच में कुछ विलंब हुआ। उधर, इस पूरे मामले में पुलिस पदाधिकारियों की ओर से अनुसंधान में लापरवाही की बात सामने आ रही है जिस विंदु पर सीबीआइ अलग से अपनी रिपोर्ट सरकार को दे सकती है।