
आदिवासियों को अधिकार दिलाने के मामले में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कितने संवेदनशील है, ये किसी से छिपा नहीं है. सीएम की प्राथमिकताओं में रहने वाले अनुसूचित जनजाति समाज के लोगो को एक बार फिर मुख्यमंत्री ने अधिकार दिलाया है. केवल एक बार सीएम की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से आग्रह करने पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने 16 अनुसूचित जनजाति समाज के लोगो को उनके वन पट्टे का अधिकार दिला दिया, जिसमे ये आदिवासी समाज के लोग वर्षो से जोट आबाद करते आ रहे थे, मगर यह भूमि इनकी नहीं थी. बोआरीजोर प्रखण्ड के डुमरिया पंचायत के तुलसीपुर ग्राम निवासी बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को समीक्षा बैठक के दौरान ज्ञापन सौंपा था, जिसके बाद ये कार्रवाई की गयी.
दरअसल, जिला स्तरीय समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन गोड्डा प्रवास में थे. इस क्रम में बोआरीजोर प्रखण्ड के डुमरिया पंचायत के तुलसीपुर ग्राम की वनाधिकार समिति द्वारा उक्त ग्राम के अनुसूचित जनजाति समुदाय के आवेदकों के लंबित वनाधिकार दावों का त्वरित निष्पादन कर वन पट्टा निर्गत करने संबंधी ज्ञापन बोआरीजोर प्रखण्ड के डुमरिया पंचायत के तुलसीपुर ग्राम निवासी बाबूलाल मरांडी ने मुख्यमंत्री को सौंपा था. वनाधिकार समिति के माध्यम से आवेदकों द्वारा बताया गया कि वे लोग प्रसंगाधीन वनभूमि पर साफ सफाई कर वर्षों से जोत आबाद करते आ रहे हैं. अतः अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के तहत उन्हें वन पट्टा निर्गत किया जाए.
उक्त ज्ञापन के आलोक में मुख्यमंत्री द्वारा उपायुक्त, गोड्डा को नियमानुसार आवश्यक कार्रवाई करते हुए आवेदकों को वन पट्टा निर्गत किये जाने का निर्देश दिया गया था. मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए वनाधिकार कानून 2006 में उल्लेखित प्रावधानों के तहत् जिला अनुमंडल एवं ग्राम स्तरीय वनाधिकार समिति से संबद्ध पदाधिकारियों को अग्रेत्तर कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया. तदनुसार तुलसीपुर ग्राम डुमरिया पंचायत, बोआरीजोर प्रखण्ड के कुल 16 आवेदकों के द्वारा अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वनाधिकारों की मान्यता) अधिनियम 2006 के तहत वनभूमि के अधिकारों के लिये विहित प्रपत्र में किए गए व्यक्तिगत दावों एवं तत्संबंधी ग्राम सभा की अनुशंसा के आलोक में अंचल निरीक्षक, वनक्षेत्र पदाधिकारी, राजस्व कर्मचारियों, बोआरीजोर प्रखण्ड द्वारा वनाधिकार समिति, तुलसीपुर के सदस्यों की उपस्थिति में आवेदकों द्वारा दावा किए गए भूखण्ड का स्थल निरीक्षण किया गया. स्थल निरीक्षण के क्रम में अंचल कर्मचारियों के सहयोग से वनाधिकार समिति ने आवेदकों के दावे को सही पाया और दावेदारों के वनभूमि पर वास्तविक कब्जे का ट्रेस नक्शा तैयार करते हुए वन पट्टा निर्गत करने की दिशा में अग्रेतर कार्रवाई हेतु अनुशंसा सहित अभिलेख अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समिति को प्रेषित किया गया.
सभी दावेदारों को मिली स्वीकृति
मामले में अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समिति द्वारा आहूत बैठक में उक्त दावों की जाँच करते हुए सभी दावेदारों को वन पट्टा निर्गत करने के संबंध में अनुशंसा सहित सभी 16 अभिलेख जिला स्तरीय वनाधिकार समिति को विचारार्थ उपलब्ध कराया गया, जिसके आलोक में जिला स्तरीय वनाधिकार समिति की बैठक उपायुक्त गोड्डा की अध्यक्षता में आहूत की गई. जिला स्तरीय वनाधिकार समिति, गोड्डा द्वारा तुलसीपुर ग्राम के खाता संख्या 36 के विभिन्न दाग संख्याओं में अनुसूचित जनजाति समुदाय के सदस्यों द्वारा कृषि कार्य के लिये उपभोग किये जा रहे वनभूमि पर उनके वास्तविक कब्जे को रेखांकित करने वाले ट्रेस नक्शे के आधार पर वनाधिकार कानून 2006 के तहत आवेदक संझला मुर्मू, ताला मुर्मू, मंझली टुडू, बड़ा रामजीत मरण्डी, मरांगमय टुडू, भुजु टुडू, सोमाय किस्कु, एतवारी मुर्मू, पनमे मरण्डी, तलवा मरण्डी, तलका किस्कु, बागान हॉसदा, सुर्यनारायण मरण्डी, संझला मरण्डी, सुलेमान टुडू और लखीराम मरण्डी के व्यक्तिगत वनाधिकार दावों पर स्वीकृति प्रदान की गई.