HeadlinesJharkhandRanchi

झारखंड हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, अब खून के बदले खून नहीं मांग सकते अस्पताल, जानिये पूरा फैसला

रांची: झारखंड उच्च न्यायालय, रांची ने राज्य में रक्त संग्रह, ब्लड बैंक प्रबंधन, स्वैच्छिक रक्तदान, सिकल सेल एनीमिया एवं थैलेसीमिया जैसे गंभीर रोगों से पीड़ित मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं में गंभीर खामियों को देखते हुए एक महत्वपूर्ण और कड़ा आदेश पारित किया है। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश तारलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति राजेश शंकर की खंडपीठ द्वारा विभिन्न जनहित याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पारित किया गया। यह फैसला झारखंड के हजारों जरूरतमंद मरीजों, विशेषकर सिकल सेल एनीमिया और थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों एवं युवाओं के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है। हाईकोर्ट का यह आदेश राज्य में रक्तदान व्यवस्था को पारदर्शी, मानवीय और मरीज-केंद्रित बनाने की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

कोर्ट की कड़ी टिप्पणी:

हाईकोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा कि राज्य सरकार और संबंधित प्राधिकरण पिछले कई वर्षों से राष्ट्रीय रक्त नीति एवं ट्रांसफ्यूजन गाइडलाइंस का प्रभावी क्रियान्वयन करने में विफल रहे हैं। अदालत ने यह भी माना कि “रिप्लेसमेंट फ्री ब्लड ट्रांसफ्यूजन” (बिना बदले रक्त उपलब्ध कराना) का उद्देश्य झारखंड में अब तक पूरा नहीं हो पाया है।

मुख्य तथ्य जो कोर्ट के संज्ञान में आए:

  • राज्य में रक्तदान का बड़ा हिस्सा अब भी रिप्लेसमेंट डोनेशन पर निर्भर है, जबकि गाइडलाइंस के अनुसार 100% रक्त संग्रह स्वैच्छिक रक्तदान से होना चाहिए।
  • निजी अस्पतालों और ब्लड बैंकों द्वारा नियमित रक्तदान शिविरों का आयोजन नहीं किया जा रहा।
  • सिकल सेल एनीमिया एवं थैलेसीमिया मरीजों के लिए बनाए गए डे केयर सेंटर्स में आवश्यक दवाएं (जैसे आयरन चिलेटर, हाइड्रॉक्सीयूरिया) उपलब्ध नहीं हैं।
  • राज्य के कई ब्लड बैंकों में मैनपावर की भारी कमी है, कई जगह सिर्फ एक मेडिकल ऑफिसर के भरोसे व्यवस्था चल रही है।
  • 2018-19 में हर जिले में ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट (BCSU) स्थापित करने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब तक ऐसी कोई यूनिट स्थापित नहीं हुई।।
  • टोल फ्री नंबर 104 पर रक्त की व्यवस्था या शिकायत दर्ज कराने की कोई प्रभावी सुविधा नहीं है।

हाईकोर्ट के प्रमुख निर्देश:

हाईकोर्ट ने राज्य सरकार, स्वास्थ्य विभाग एवं स्टेट ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल (SBTC) को निम्नलिखित स्पष्ट निर्देश दिए हैं:

  • 100% स्वैच्छिक रक्तदान सुनिश्चित किया जाए। राज्य में एकत्र होने वाला पूरा रक्त स्वैच्छिक रक्तदान शिविरों के माध्यम से ही प्राप्त किया जाए।
  • निजी अस्पतालों/ब्लड बैंकों की जिम्मेदारी तय की जाए। सभी निजी अस्पतालों और ब्लड बैंकों को अपनी आवश्यकता पूरी करने के लिए नियमित रक्तदान शिविर आयोजित करने का निर्देश।
  • झारखंड के प्रत्येक जिले में तीन महीने के भीतर ब्लड कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट (BCSU) की स्थापना की जाए।
  • सभी डे केयर सेंटर्स को राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (2016) और सिकल सेल रोग प्रबंधन गाइडलाइंस (2023) के अनुसार पूरी तरह कार्यशील बनाया जाए।
  • अलग शिकायत निवारण तंत्र की स्थापना की जाए। मरीजों को बिना रिप्लेसमेंट रक्त उपलब्ध कराने के लिए मोबाइल ऐप, वेबसाइट और टोल फ्री नंबर सहित एक समर्पित शिकायत निवारण प्रणाली विकसित की जाए।
  • राज्य के सभी ब्लड बैंकों का हर तीन महीने में नियमित निरीक्षण किया जाए और विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के अनुसार पर्याप्त स्टाफ की तैनाती सुनिश्चित की जाए।
  • हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इन सभी निर्देशों के अनुपालन की समीक्षा 20 मार्च 2026 को की जाएगी। आदेश का पालन नहीं होने की स्थिति में राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया जा सकता है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

j Back to top button