
रांची: 29 साल से लंबित PESA नियमावली अब झारखंड में लागू होने जा रही है। राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है। इससे संबंधित संशोधित ड्राफ्ट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सौंप दिया गया है। आज होने वाली कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी मिलने की पूरी संभावना है। झारखंड के आदिवासी इलाकों के लिए यह फैसला ऐतिहासिक है। इसका इंतजार झारखंड का आदिवासी समाज लंबे समय से कर रहा था। दरअसल, पंचायती राज विभाग ने सभी विभागों के सुझावों को शामिल करते हुए PESA यानी पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों में विस्तार) अधिनियम, 1996 की राज्य नियमावली को अंतिम रूप दे दिया है।
नई नियमावली के तहत, ग्राम सभा को अब वास्तविक अधिकार दिए जाएंगे। लघु खनिज, रेत, पत्थर, जल स्रोत, मछली पालन और वन उपज पर कोई भी निर्णय ग्राम सभा की पूर्व सहमति के बिना नहीं लिया जा सकेगा। पारंपरिक व्यवस्था को भी सम्मान देते हुए ग्राम सभा की बैठकें अब मानकी-मुंडा यानी पारंपरिक प्रधान की अध्यक्षता में होंगी। इतना ही नहीं, आदिवासी भूमि की बहाली, शराब नियंत्रण, और गांव के सामाजिक-आर्थिक विकास योजनाओं पर
ग्राम सभा का अंतिम निर्णय लागू होगा।
बताया जा रहा है कि 2023 में जारी ड्राफ्ट पर 1200 से अधिक सुझाव आए थे, जिनमें से प्रासंगिक बिंदुओं को शामिल किया गया है। पेसा नियमावली लागू होने के बाद झारखंड पांचवीं अनुसूची के तहत पूर्ण पेसा राज्य बन जाएगा। यह नियमावली राज्य के 13 जिलों के 104 प्रखंडों में लागू होगी, जहां आदिवासी समुदाय अब अपनी भूमि, जल, जंगल और जीवन पर स्वयं निर्णय ले सकेगा। झारखंड के लिए यह सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं, बल्कि आदिवासी आत्मनिर्णय और ग्राम स्वशासन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
क्या है पेसा एक्ट 1996?
5वीं अनुसूची के क्षेत्रों में पेसा एक्ट लागू करने की व्यवस्था है। वर्तमान में देश के कुल 10 राज्य 5वीं अनुसूची में आते हैं, जिनके नाम हैं -आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, ओडिशा, राजस्थान और तेलंगाना। इस अनुसूची में उन्हीं राज्यों को शामिल किया जाता है, जहां जनजातियों की आबादी अधिक है। पेसा एक्ट 1996 लागू होने के बाद झारखंड और ओडिशा को छोड़कर अन्य राज्यों ने इसे लागू कर दिया है।
पेसा अधिनियम, 1996 का उद्देश्य अनुसूचित जनजातीय क्षेत्रों में स्थानीय स्वशासन को मजबूत बनाना है। इस एक्ट के जरिए जनजातीय समुदाय को अपने स्थानीय स्वशासन से जोड़कर रखने और उसे सशक्त बनाने का प्रयास किया गया है। पेसा एक्ट को संसद ने 1996 में पारित किया था और राष्ट्रपति ने इस एक्ट को अपनी मंजूरी 24 दिसंबर 1996 को देकर इसे कानून का रूप दिया था। इस एक्ट के प्रावधानों के अनुसार पंचायतों से संबंधित प्रावधानों को 5वीं अनुसूचित क्षेत्रों में संशोधित रूप में लागू करना है।
पेसा एक्ट का उद्देश्य:
पेसा एक्ट 1996 उन राज्यों के लिए बनाया गया है, जहां आदिवासी आबादी अधिक है और यह क्षेत्र आर्थिक और सामाजिक रूप से पिछड़े हैं। स्थानीय स्वशासन को मजबूत करने और इलाके के समुचित विकास के लिए पेसा एक्ट बनाया गया है। पेसा एक्ट के जरिए इन इलाकों में प्रशासन की विशेष प्रणाली विकसित करने की कोशिश की गई है, ताकि क्षेत्र का समुचित विकास हो सके। इसकी आवश्यकता इसलिए महसूस की गई क्योंकि इन राज्यों में जो प्रशासनिक मशीनरी काम कर रही है, उनका विस्तार इन क्षेत्रों तक नहीं हो पाता है। इस कानून का उद्देश्य पंचायतों के संवैधानिक प्रावधानों और आदिवासियों के विशेष पारंपरिक अधिकारों के बीच सामंजस्य स्थापित करना है।



