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कौन था सूर्या हांसदा? कोई कहता है अपराधी, तो कोई बताता है समाजसेवी, हत्या-अपहरण जैसे गंभीर आपराधिक मामलों में आरोपी सूर्या का क्या था आराधिक इतिहास, जानिये

रांची: झारखंड में इन दिनों सूर्या हांसदा एनकाउंटर को लेकर खूब सियासत हो रही है. सूर्या नारायण हांसदा एक ओर चुनावी राजनीति में दांव आजमाने वाला राजनीतिक नेता था, तो वहीं दूसरी ओर पुलिस रिकॉर्ड में वह एक कुख्यात अपराधी के रूप में दर्ज था. कुछ लोगों के लिए सूर्या हांसदा समाजसेवी था, तो कईयों के लिए संगीन अपराधी. सूर्या हांसदा पर हत्या, अपहरण, लूट और रंगदारी जैसे गंभीर आपराधिक मामले दर्ज है.

चुनाव में हर बार जनता ने नकारा:

सूर्या हांसदा ने राजनीति में भी हाथ आजमाया था. हालांकि तीन बार अलग-अलग पार्टियों के टिकट पर विधानसभा चुनाव लड़ने वाले सूर्या हांसदा को जनता ने हर बार नकार दिया. सबसे पहले 2009 में जेवीएम (झारखंड विकास मोर्चा) से, 2019 में भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) से और 2024 में जेएलकेएम (झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा) के टिकट पर सूर्या ने बोरियो विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा.

सूर्या हांसदा का आपराधिक इतिहास:

सूर्या हांसदा पर कई संगीन आरोप हैं. सूर्या हांसदा पर उसी के गांव के क्लास्टिन किस्कू, झामुमो के प्रखंड अध्यक्ष रहे सुनील टुडू, सुभाष चंद्र गुप्ता, कृष्णा सिंह, हनीफ अंसारी, बबलू हांसदा, देवनारायण हांसदा, जयनारायण दास समेत कई लोगों की गोली मारकर हत्या करने का गंभीर मामला दर्ज था. पवन कुमार गुप्ता की हत्या मामले में सूर्या हांसदा चार्जशीटेड था. वह वर्ष 2000 के आसपास क्षेत्र में कुख्यात गैंगस्टर था. उस वक्त ललमटिया हर दिन आपराधिक घटनाओं को लेकर गर्म रहता था. सूर्या हांसदा व गिरोह ने इसीएल के इंजीनियर जयमंगल सिंह एवं एनपी सिंह का अपहरण कर लिया था. 2007 में क्लासिक इंडिया नामक रेलवे ठेका कंपनी के इंजीनियर को सूर्या ने उठाया था. बताया जाता है कि फिरौती की रकम मिलने के बाद ही इंजीनियर मुक्त हुआ था. सूर्या हांसदा क्षेत्र में लगातार, खासकर इसीएल में धाक जमाये हुए था. सूर्या की मुख्य लड़ाई उस वक्त क्षेत्र के दूसरे गिरोहों से थी, जो पहले सूर्या के लिये काम करते थे. अपहरण हत्या, लूट और रंगदारी जैसे करीब 25 से अधिक मामलों में सूर्या हांसदा की संलिप्तता है.

समाज सेवी की छवि:

दोहरी छवि वाला सूर्या हांसदा अपने क्षेत्र में समाज सेवक के रूप में जाना जाता था. कुछ स्थानीय लोग उसे एक समाजसेवी मानते थे. सूर्या ने एक स्कूल की स्थापना की थी, जहां वह 200 से 300 गरीब बच्चों को निःशुल्क शिक्षा दिलाता था. शायद यही वजह है कि एनकाउंटर में मारे जाने के बाद भी कुछ लोग उसके साथ सहानुभूति व्यक्त कर रहे हैं. परिवार और उसके समर्थकों का आरोप है कि फर्जी एनकाउंटर के तहत सूर्या को मारा गया है.

एनकाउंटर में मारा गया सूर्या:

उल्लेखनीय है कि 10 अगस्त 2025 को देवघर जिले के नवाडीह गांव में पुलिस ने सूर्या हांसदा को गिरफ्तार किया था. पुलिस का दावा है कि पूछताछ के दौरान हथियार बरामदगी के लिए ले जाते समय उसके साथियों ने फायरिंग शुरू कर दी. इस बीच, सूर्या ने हथियार छीनने की कोशिश की और मुठभेड़ में उसकी मौत हो गयी.

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