नई दिल्ली: भारत के इतिहास में पहली बार सुप्रीम कोर्ट ने ईवीएम से हुई वोटों की गिनती को लेकर बड़ा फैसला सुनाया. हरियाणा में हुए एक सरपंच चुनाव को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने बड़ा कदम उठाया. सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव में इस्तेमाल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और अन्य रिकॉर्ड तलब कर लिए और अपने रजिस्ट्रार की निगरानी में वोटों की गिनती कराई. इस दौरान दोनों पक्षों मौजूद रहे और पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी की गई. फिर 11 अगस्त को इसके आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव परीणाम भी घोषित किया.
जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने ये फैसला किया. हरियाणा के पानीपत जिले के बुआना लाखू गांव की ग्राम पंचायत के सरपंच के चुनाव को लेकर उठे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ये कदम उठाया. पेश मामले के अनुसार बुआना लाखू गांव के सरपंच पद के लिए चुनाव 2 नवंबर, 2022 को हुए थे और कुलदीप सिंह को निर्वाचित घोषित किया गया था.
मोहित कुमार ने दी चुनाव परिणामों को चुनौती:
उम्मीदवार मोहित कुमार ने परिणामों को चुनौती देते हुए याचिका दायर की. पानीपत के अतिरिक्त सिविल न्यायाधीश (वरिष्ठ श्रेणी)-सह-चुनाव ट्रिब्यूनल ने 22 अप्रैल, 2025 के एक फैसले में बूथ संख्या 69 के मतों की पुनर्गणना का आदेश दिया. उपायुक्त-सह-चुनाव अधिकारी को 7 मई, 2025 को मतों की पुनर्गणना करने का निर्देश दिया गया. लेकिन चुनाव ट्रिब्यूनल के इस आदेश को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने रद्द कर दिया. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ अपील दायर की गई.
31 जुलाई को यह मामला सुप्रीम कोर्ट में आया, तो पीठ ने ईवीएम और अन्य रिकॉर्ड पेश करने का निर्देश दिया. साथ ही, अदालत ने केवल एक बूथ के बजाय सभी बूथों के मतों की पुनर्गणना का भी आदेश दिया. अदालत ने 31 जुलाई के अपने आदेश में कहा कि इस मामले के विशिष्ट तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, उपायुक्त एवं जिला निर्वाचन अधिकारी, पानीपत, हरियाणा को निर्देश दिया जाता है कि वे सभी ईवीएम इस न्यायालय के रजिस्ट्रार, जिन्हें सेकेट्री जनरल द्वारा नामित किया जाएगा, के समक्ष 06.08.2025 को प्रातः 10 बजे प्रस्तुत करें. नामित रजिस्ट्रार न केवल विवादित बूथ के, बल्कि सभी बूथों के मतों की पुनर्गणना करेंगे. पुनर्गणना की विधिवत वीडियोग्राफी की जाएगी.
अपीलकर्ता मोहित कुमार को 1,051 मत मिले:
याचिकाकर्ता के साथ-साथ प्रतिवादी संख्या 1 या उनके अधिकृत प्रतिनिधि पुनर्गणना के समय उपस्थित रहेंगे. 6 अगस्त को पार्टी प्रतिनिधियों और सहायक वकीलो की उपस्थिति में पुनर्गणना हुई. बूथ संख्या 65 से 70 की पुनर्गणना की गई और एक संशोधित परिणाम तैयार किया गया. इसमें अपीलकर्ता मोहित कुमार को 1,051 मत प्राप्त हुए, जबकि कुलदीप सिंह 1,000 मतों से पीछे रहे. रजिस्ट्रार ने इसकी रिपोर्ट भी दाखिल की.
11 अगस्त को सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि इस न्यायालय के OSD (रजिस्ट्रार) द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट पर प्रथम दृष्टया संदेह करने का कोई कारण नहीं है. खासकर जब पूरी पुनर्गणना की विधिवत वीडियोग्राफी की गई हो और उसके परिणाम पर दोनों पक्षों के प्रतिनिधियों के हस्ताक्षर हैं. पीठ ने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के आदेश को रद्द कर दिया और मोहित कुमार को सरपंच निर्वाचित होने का पात्र घोषित किया.
अदालत ने उपायुक्त-सह-निर्वाचन अधिकारी, पानीपत को निर्देश दिया कि वो दो दिनों के भीतर इस संबंध में एक अधिसूचना जारी करें, जिसमें अपीलकर्ता मोहित कुमार को उपर्युक्त ग्राम पंचायत का निर्वाचित सरपंच घोषित किया जाए. अपीलकर्ता तत्काल उक्त पद ग्रहण करने और अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने का हकदार होगा.
अदालत ने स्पष्ट किया कि पक्षकार अब भी चुनाव ट्रिब्यूनल के समक्ष कोई भी शेष मुद्दा उठा सकते हैं, लेकिन जहां तक पुनर्गणना के परिणाम का संबंध है, चुनाव ट्रिब्यूनल सुप्रीम कोर्ट के OSD (रजिस्ट्रार) की रिपोर्ट को अंतिम और निर्णायक रिपोर्ट के रूप में स्वीकार करेगा. पीठ ने आगे आदेश दिया कि पुनः सीलबंद रिपोर्ट और ईवीएम को रिकॉर्ड का हिस्सा बनाने के लिए चुनाव ट्रिब्यूनल को भेजा जाए.
पहले भी चुनाव अधिकारी ने की थी चुनाव में गड़बड़ी, बाद में मांगी थी माफी:
आपको बता दें कि हरियाणा के सरपंच चुनाव का मामला देश में चुनाव में गड़बड़ियों का कोई पहला मामला नहीं है. इससे पहले चंडीगढ़ के मेयर चुनाव के दौरान पीठासीन अधिकारी अनिल मसीह पर गड़बड़ी का आरोप लगा. अनिल मसीह ने सुप्रीम कोर्ट में माना था कि उन्होंने बैलट पेपर पर निशान लगाया था, जबकि केवल साइन करने थे. अनिल मसीह के मुताबिक उसने 8 बैलेट पर X का निशान बनाया था. इसके अलावा अनिल मसीह ने आठ पार्षदों के वोट को अवैध करार दिया था, जिसकी वजह से बीजेपी के पार्षद मनोज सोनकर को मेयर की गद्दी मिली थी. इसके बाद आम आदमी पार्टी व कांग्रेस के गठबंधन ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बीजेपी के मनोज सोनकर को मेयर कि कुर्सी छोड़नी पड़ी, और आम आदमी पार्टी के कुलदीप मेयर बनाये गए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लोकतंत्र की हत्या भी बताया था.