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राजकीय सम्मान के साथ हुआ दिशोम गुरु शिबू सोरेन का अंतिम संस्कार, स्वास्थ्य मंत्री इरफ़ान अंसारी ने की गुरूजी को भारत देने की मांग

नेमरा की ओर जाते वक्त मार्ग में हजारों लोग उमड़ पड़े। हर गाँव, हर चौराहे पर आम नागरिकों ने फूल बरसाकर, हाथ जोड़कर और अश्रुओं के साथ अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई दी।

रांची/रामगढ़. आदिवासी जननायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर आज उनके पैतृक गांव नेमरा ले जाया गया। जहां राजकीय सम्मान के साथ शिबू सोरेन को अंतिम विदाई दी गयी। गुरूजी के छोटे बेटे बसंत सोरेन ने पिता को मुखाग्नि दी। इस दौरान भारी जनसैलाब शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में नेमरा में उमड़ा। शिबू सोरेन अमर रहे, माटी पुत्र अमर रहे के नारो से नेमरा का आसमान गूंज उठा। शिबू सोरेन के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे रांची पहुंचे। हालांकि मौसम ख़राब होने के कारण उनका विमान विलंब से रांची पहुंचा। उससे पहले ही मुख्यमंत्री नेमरा के लिए रवाना हो चुके थे। राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे भी नेमरा जा रहे है।

विधानसभा में दी गयी श्रद्धांजलि

इससे पहले आज सुबह 10 बजे दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर राजकीय सम्मान के साथ झारखंड विधानसभा लाया गया। वहां मौजूद विधायकों, मंत्रियों और वरिष्ठ अधिकारियों ने नम आँखों से उन्हें श्रद्धा-सुमन अर्पित किए और उनके अतुलनीय योगदान को नमन किया। लगभग एक घंटे तक उनका पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए विधानसभा परिसर में रखा गया, जहाँ लोगों ने उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि दी। इसके बाद मुख्यमंत्री सहित तमाम नेता और जनप्रतिनिधि पार्थिव शरीर को नेमरा गांव की ओर लेकर रवाना हुए। नेमरा की ओर जाते वक्त मार्ग में हजारों लोग उमड़ पड़े। हर गाँव, हर चौराहे पर आम नागरिकों ने फूल बरसाकर, हाथ जोड़कर और अश्रुओं के साथ अपने प्रिय नेता को अंतिम विदाई दी।

इरफ़ान अंसारी ने भारत रत्न देने की मांग की

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि झारखंड आंदोलन के महानायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन को भारत रत्न से सम्मानित किया जाए। डॉ. अंसारी ने कहा कि शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनेता नहीं, बल्कि एक आंदोलनकारी, एक जननायक और करोड़ों आदिवासियों के अधिकारों की आवाज रहे हैं। उनका जीवन जल, जंगल और जमीन की लड़ाई को समर्पित रहा है। उन्होंने आदिवासी समाज को संगठित कर उनके हक और हुकूक की रक्षा की और झारखंड राज्य के गठन में निर्णायक भूमिका निभाई।

इरफ़ान अंसारी ने कहा कि झारखंड आंदोलन के स्तंभ गुरुजी ने वर्षों तक संघर्ष कर झारखंड राज्य की मांग को देशव्यापी मुद्दा बनाया और अलग राज्य की नींव रखी। उन्होंने संसाधनों पर आदिवासियों के अधिकारों के लिए संघर्ष किया और जल-जंगल-जमीन की रक्षा को अपना जीवन मिशन बनाया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक के रूप में उन्होंने सामाजिक न्याय, समता और स्वाभिमान की राजनीति को दिशा दी।

मंत्री इरफ़ान अंसारी ने कहा कि भारत रत्न सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि यह उस विरासत का मूल्यांकन है जिसने देश के एक बड़े हिस्से को उसकी पहचान और अधिकार दिलाया। दिशोम गुरु का जीवन और संघर्ष आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है, और उनका सम्मान पूरे झारखंड के सम्मान से जुड़ा है।

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