
रांची: झारखंड में तेजी से पांव पसार रहे ‘कोचिंग माफिया’ पर राज्य सरकार ने लगाम कसने की तैयारी कर ली है। राज्य में धड़ल्ले से खुलते जा रहे कोचिंग संस्थानों को झारखंड सरकार अब कानून के दायरे में सख्ती से लाएगी। नियम-कानून को ताक पर रखकर छात्रों के जीवन से खिलवाड़ करने वाले और पैसा छापने की मशीन बन चुके कोचिंग माफियाओ को अब छात्रों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी होगी। आगामी मानसून सत्र में विधानसभा में जो झारखंड कोचिंग सेंटर (कंट्रोल एंड रेगुलेशन) बिल-2025 लाया जाएगा, उससे कोचिंग संस्थानों पर वाइंड अप पॉलिसी लागू हो जाएगी। इसका मतलब है कि अगर कोई संस्थान नामांकन के दौरान बच्चों को बताए सिलेबस को तय समय अवधि (जैसे 9 माह के कोर्स को 05 माह में) से पहले ही या आधा-अधूरा पूरा करता है या संस्थान को अचानक बंद करता है, तो उसे अपने वित्तीय दायित्वों, छात्रों की फीस, कर्मचारियों के वेतन और अन्य बकाया भुगतानों का सख्ती से निपटारा करना होगा।
प्रस्तावित बिल की खासियत यह है कि नया कानून 50 से अधिक छात्र-छात्राओं वाले कोचिंग संस्थानों पर लागू होगा। कोचिंग संस्थानों को उनके यहां पढ़ने वाले प्रत्येक छात्र-छात्राओं को एक वर्ग मीटर का स्थान देना अनिवार्य करना होगा। बिल में ऐसे अन्य कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं, जिससे कोचिंग संस्थान भ्रामक विज्ञापन दिखाकर बच्चों को बहका नहीं सकेंगे। इसके लिए प्रस्तावित बिल में कोचिंग संस्थान, छात्रों, ट्यूटर और मनोचिकित्सक के लिए अलग-अलग नाम से आईडी कार्ड बनाने का प्रावधान किया गया है। कोचिंग संस्थानों में अगर 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चे नामांकन लेते हैं, तो उस दौरान माता-पिता या अभिभावक की अनुमति और उनकी उपस्थिति अनिवार्य होगी।
झारखंड भवन उपविधि-2016 के दायरे में आएंगे कोचिंग संस्थान:
राज्य सरकार सभी कोचिंग संस्थानों को झारखंड भवन उपविधि-2016 के दायरे में लेकर आएगी। इसके बाद संस्थानों में बच्चों के लिए स्वच्छ टॉयलेट, शुद्ध पेयजल, हवादार कक्ष और आपात निकास की व्यवस्था करना अनिवार्य होगा। बता दें कि उक्त उपविधि, राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित एक नियमावली है, जो भवन निर्माण गतिविधियों को नियंत्रित करती है। यह उपविधि, झारखंड नगरपालिका अधिनियम, 2011 की धारा 434 के तहत जारी की गई है।
फ्रैंचाइजी और फ्रैंचाइजर पर भी लागू होगा नया कानून:
प्रस्तावित बिल में कोचिंग संस्थानों के फ्रैंचाइजर (पूर्व से स्थापित एक प्रतिष्ठित संस्थान या कंपनी) और फ्रैंचाइजी (एक व्यक्ति या कंपनी, जो उक्त प्रतिष्ठित संस्थान के उपयोग का लाइसेंस लेती है) पर राज्य सरकार सख्ती बरतेगी। हाल ही में राजधानी में एक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थान ने अचानक अपना संस्थान बंद कर दिया, इससे बच्चों के साथ अभिभावकों को आर्थिक, सामाजिक, शैक्षणिक तौर पर काफी परेशानी झेलनी पड़ी। नए कानून बनने के बाद अचानक ऐसे काम कोई कोचिंग संस्थान करता है, तो फ्रैंचाइजी और फ्रैंचाइजर दोनों के खिलाफ सरकार सख्त कानूनी कदम उठा सकेगी।
इन प्रावधानों का भी उल्लेख:
1. कोचिंग संस्थानों के लिए ‘सीसीआर’ कार्ड
2. छात्रों के लिए ‘सीईडी’ कार्ड इसका फायदा होगा कि कौन सा बच्चा किस कोचिंग संस्थान में पढ़ रहा है, उसकी जानकारी सरकार को होगी। इससे किसी परीक्षा में सफल वैसे बच्चे, जो संबंधित संस्थानों में नहीं पढ़े हैं, फिर भी कई संस्थान उन्हें अपना यहां पढ़ने का दावा कर भ्रामक विज्ञापन देते हैं, उस पर रोक लगेगी। भ्रामक विज्ञापन देने पर सरकार ठोस कानूनी कार्रवाई कर सकेगी।
3. ट्यूटर के लिए ‘सीटीआर’ कार्ड इससे एक शिक्षक एक समय में एक ही संस्थान में अपनी सेवा दे सकेंगे। इससे ट्यूटर के भ्रामक प्रचार-प्रसार पर लगाम लगेगी।
4. 1000 से ज्यादा छात्रों वाले कोचिंग संस्थानों को बच्चों के मेंटल हेल्थ पर फोकस करना होगा। कोचिंग संस्थान अपने यहां मनोचिकित्सक नियुक्त करेंगे। मनोचिकित्सक को जो आईडी कार्ड मिलेगा, उसका नाम ‘सीएमसी’ होगा।