रांची: विश्व बैंक ने झारखंड में चलाई गयी ‘जोहार परियोजना’ की खुलकर तारीफ की है. ग्रामीण विकास विभाग के अधीन झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी द्वारा संचालित इस परियोजना ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई दिशा दिखाई है. सिर्फ 4 वर्षों में 21 महिलाओं के नेतृत्व वाले फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन यानी एफपीओ ने 21 मिलियन अमेरिकी डॉलर का टर्नओवर हासिल कर लिया है.
विश्व बैंक ने रांची के कांके स्थित प्रोड्यूसर ग्रुप की चेयरपर्सन आशा देवी और उनके जैसी हजारों महिलाओं की उपलब्धियों की सराहना की है. एक्स पर विश्व बैंक के जोहार परियोजना से जुड़े पोस्ट को साझा करते हुए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लिखा कि ‘झारखंड की मेरी माताएं-बहनें आज सशक्त होकर आगे बढ़ रही हैं. आप सभी आगे बढ़ते रहें, आपका यह बेटा और भाई हमेशा आपके साथ हैं’.
झारखण्ड की मेरी माताएं-बहनें आज सशक्त हो आगे बढ़ रही हैं।
आप सभी आगे बढ़ते रहें, आपका यह बेटा और भाई हमेशा आपके साथ हैं। https://t.co/GJbz0J1sSs— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) July 16, 2025
वहीं, विश्व बैंक ने अपने पोस्ट में लिखा कि आज, हम अपने व्यवसाय के हर पहलू को समझते हैं—मुनाफ़े के मार्जिन से लेकर बाज़ार के रुझानों तक. हमने साथ मिलकर बातचीत करना सीख लिया है और जानते हैं कि हमें कम पर समझौता नहीं करना है. #JOHAR के तहत कांके के उत्पादक समूह की अध्यक्ष आशा देवी से मिलिए, जो झारखंड की ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बदलने वाली हजारों महिलाओं में से एक हैं.
“Today, we understand every aspect of our business — from profit margins to market trends. We’ve learned to negotiate together and know we don’t have to settle for less.” Meet Asha Devi, Chairperson of Kanke’s producer group under #JOHAR, who is one of thousands of women… pic.twitter.com/d7Rg3C8zdX
— World Bank India (@WorldBankIndia) July 14, 2025
क्या है जोहार परियोजना?
जोहार का मतलब है- Jharkhand opportunities for harnessing rural growth. विश्व बैंक के सहयोग से जेएसएलपीएस का संचालन किया गया. मई 2017 से जून 2024 तक जोहार परियोजना का संचालन हुआ. इसमें विश्व बैंक की 70% ऋण सहायता और राज्य सरकार का 30% अंशदान रहा.
जेएसएलपीएस के मुताबिक झारखंड के 17 जिलों के 68 प्रखंडों में कृषि, पशुधन, मत्स्य पालन और लघु वनोपज क्षेत्र के 3,500 उत्पादक समूहों के समर्थन से 2 लाख ग्रामीण परिवारों की आय में वृद्धि करने में सफल रहा है. इसके तहत 2.24 लाख उत्पादकों को 3922 उत्पादक समूह में संगठित किया गया. इनका समर्थन देने के लिए करीब 17 हजार सामुदायिक कैडरों को प्रशिक्षित किया गया है. ताकि महिलाएं इससे जुड़कर अपने पैरों पर खड़ा हो सकीं.