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तारलोक सिंह चौहान बने झारखंड हाईकोर्ट के नए मुख्य न्यायाधीश, प्लास्टिक और तंबाकू प्रतिबंधों के लिए लगातार उठाते रहे है कड़ा कदम

झारखंड के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम.एस रामचंद्र राव को त्रिपुरा उच्च न्यायलय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।

रांची. तारलोक सिंह चौहान झारखंड हाईकोर्ट के नए मुख्य मुख्य न्यायाधीश बनाये गए है। तारलोक इससे पहले हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे। झारखंड के पूर्व मुख्य न्यायाधीश एम.एस रामचंद्र राव को त्रिपुरा उच्च न्यायलय का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है। झारखंड के अलावा संजीव सचदेवा को एमपी हाईकोर्ट, विभु बखरू को कर्नाटक हाईकोर्ट, आशुतोष कुमार को गुवाहाटी हाईकोर्ट और विपुल पंचोली को पटना हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है। मनिंद्र मोहन श्रीवास्तव को मद्रास हाईकोर्ट, अपरेश सिंह को तेलंगाना और केआर श्रीराम को राजस्थान हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाया गया है।

तम्बाकू और प्लास्टिक पर सख्त है झारखंड के नए मुख्य न्यायाधीश

तारलोक सिंह चौहान का जन्म 9 जनवरी, 1964 को हुआ था। श्री चौहान ने अपनी स्कूली शिक्षा बिशप कॉटन स्कूल, शिमला और डीएवी कॉलेज, चंडीगढ़ से पूरी की। उन्होंने पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ से कानून में स्नातक की डिग्री ली। 1989 में हिमाचल प्रदेश के बार काउंसिल में अधिवक्ता के रूप में नामांकन किया और लाला छबील दास के साथ वकालत की। यही वो दौर भी था, जब उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में अभ्यास शुरू किया। पदोन्नति से पहले वे स्थायी वकील-सह-कानूनी सलाहकार के रूप में एच.पी. स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड लिमिटेड और उसके बाद स्थायी वकील-सह-कानूनी सलाहकार के रूप में एच.पी. स्टेट सिविल सप्लाइज कॉर्पोरेशन में थे। उन्होंने विभिन्न विभागों, जिसमें बोर्ड, निगम, वित्तीय संस्थान, सार्वजनिक और निजी कंपनियां, शैक्षणिक संस्थान और सहकारी समितियां आदि शामिल हैं, के कई मामलों का संचालन किया। वे कानूनी सहायता कार्यक्रमों से भी सक्रिय रूप से जुड़े थे। वे विभिन्न लोक अदालतों के सदस्य रहे। उन्हें उच्च न्यायालय द्वारा कई महत्वपूर्ण मामलों में एमिकस क्यूरी नियुक्त किया गया था, जो हाइडल परियोजनाओं, रोपवे आदि द्वारा पर्यावरण कानूनों के उल्लंघन से संबंधित थे, प्लास्टिक और तंबाकू उत्पादों पर प्रतिबंध के कार्यान्वयन, ठोस अपशिष्ट प्रबंधन परियोजनाओं और हिमाचल प्रदेश में सड़क निर्माण नीति के निर्माण में भी उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। उन्हें 23 फरवरी, 2014 से हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया। उन्होंने 30 नवंबर 2014 को हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में शपथ ली। उन्होंने 20 अप्रैल, 2023 से 29 मई, 2023 तक कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का पदभार संभाला। 19 अक्टूबर, 2024 को उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली।

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