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बिहार के पूर्णिया में आदिवासी परिवार के पांच लोगो को अंधविश्वास में जिंदा जला कर मार डाला, हैवान आरोपी ने कहा – वारदात का कोई अफसोस नहीं, मंत्री इरफान अंसारी ने प्रतिनिधिमंडल बिहार भेजने की मांग की

बिहार के पूर्णिया में अंधविश्वास ने आदिवासी परिवार को उजाड़ दिया। गांव वालो ने मिलकर पहले बाबूलाल उरांव के परिवार के पांच सदस्यों को पहले बेरहमी से पीटा, फिर डीजल डालकर उन्हें आग लगा दिया।

रांची/पूर्णिया. बिहार के पूर्णिया में अंधविश्वास ने आदिवासी परिवार को उजाड़ दिया। गांव वालो ने मिलकर पहले बाबूलाल उरांव के परिवार के पांच सदस्यों को पहले बेरहमी से पीटा, फिर डीजल डालकर उन्हें आग लगा दिया। इतने से भी हैवानो का मन नहीं भरा तो उन्होंने परिवार की लाशो के टुकड़ो को घर से 200 मीटर दूर खेत में जलकुंभी में फेंक दिया। इस दिल दहला देने वाले नरसंहार की घटना ने झारखंड को भी झकझोर दिया है। मृतकों में बाबूलाल उरांव, उनकी पत्नी, मां, बहू और बेटा शामिल है। पुलिस ने पूरे मामले को अंधविश्वास से जोड़कर तीन लोगो को गिरफ्तार किया है। अन्य आरोपियों की तलाश जारी है। इस वारदात में बाबूलाल उरांव का बेटा सोनू उरांव जिंदा बच पाया। सोनू ने अपनी नानी के घर छिपकर जान बचाई।

आरोपी नकुल बोला – वारदात का कोई अफसोस नहीं

पुलिस ने इस पूरे वारदात को लेकर नकुल नाम के आरोपी को गिरफ्तार किया है। हैरानी की बात ये है कि नकुल को अपने करतूत पर कोई पछतावा नहीं है। आरोपी नकुल ने पुलिस से कहा कि उसे वारदात का कोई अफसोस नहीं है। आदिवासी परिवार गांव में झाड़फूंक करता था। इसीलिए डीजल डालकर उसे जला डाला। बिहार सरकार ने इस मामले में एसआईटी के गठन का निर्देश दिया है।

मंत्री इरफान अंसारी ने हेमंत सोरेन सरकार से प्रतिनिधिमंडल बिहार भेजने की मांग की

पूर्णिया की घटना को मंत्री इरफान अंसारी ने आदिवासी समाज की सुरक्षा और सम्मान पर एक गंभीर आघात बताया है। इरफान अंसारी ने राज्य सरकार से विशेष प्रतिनिधिमंडल पूर्णिया भेजने की मांग की है। इरफान अंसारी ने कहा कि पूर्णिया ज़िले में हाल ही में घटी घटना ने मुझे अंदर तक झकझोर कर रख दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पांच निर्दोष आदिवासियों की नृशंस हत्या कर उन्हें ज़िंदा जलाया गया। यह घटना न केवल मानवता पर कलंक है, बल्कि यह आदिवासी समाज की सुरक्षा और सम्मान पर भी एक गंभीर आघात है।

मैं इस हृदयविदारक घटना की घोर निंदा करता हूँ और इससे अत्यंत आहत हूँ। यह स्पष्ट संकेत है कि भाजपा शासित बिहार में आदिवासी समाज पूर्णतः असुरक्षित है और उनके जीवन की कोई गारंटी नहीं रह गई है। इस विषय में मेरा आपसे निवेदन है कि झारखंड सरकार की ओर से एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल गठित किया जाए जिसमें मुझे भी सम्मिलित किया जाए, ताकि मैं मौके पर जाकर स्थिति की वस्तुस्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकूँ और आदिवासी समाज के पक्ष को मजबूती से रख सकूँ। हमें इस मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों को कठोरतम सजा दिलवाने के लिए केंद्र व बिहार सरकार पर दबाव बनाना होगा।

यह केवल एक राजनीतिक या प्रशासनिक मामला नहीं, बल्कि हमारे आदिवासी अस्तित्व, अस्मिता और आत्म-सम्मान का सवाल है। आपसे आग्रह है कि इस मामले को शीर्ष प्राथमिकता देते हुए तत्काल संज्ञान लें और हमारी सरकार की संवेदनशीलता तथा प्रतिबद्धता को देश के सामने प्रस्तुत करें।

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