बंद और बारिश ने राजधानी में धोया दिन का बाजार, सड़के रही सुनसान, बंद कार्यकर्ताओ ने टायर जलाकर सड़को को किया अवरुद्ध, बारिश के बाद पटरी पर लौटा शहर
जिला प्रशासन द्वारा बंद कार्यकर्ताओ से निपटने के लिए 2000 से अधिक जवानो की तैनाती का दावा किया गया था। मगर हर चौराहे पर पुलिस के जवान और आला अधिकारी बेबस दिखाई दे रहे थे।

रांची. सिरमटोली फ्लाईओवर का रैंप हटाने और विभिन्न मुद्दों को लेकर आदिवासी संगठनो द्वारा बुलाई गयी बंदी और एक पहर बाद शुरू हुई मूसलाधार बारिश ने आज राजधानी के बाजार को धो दिया। लोग जरुरी काम से भी घरो से नहीं निकल पाए। जगह जगह बंद कार्यकर्ता और प्रदर्शनकारियों ने आवागमन को बाधित किया और सड़को पर टायर जलाकर उग्र प्रदर्शन किया। राजधानी के करमटोली चौक, कांके, सिरमटोली चौक, हिनू और पिस्कामोड़ में बंद का व्यापक असर दिखा। सड़के वीरान रही और दुकाने प्रदर्शनकारियों ने जबरन बंद करा दी। कमोवेश पूरी रांची में यहीं हाल देखने को मिला। जिला प्रशासन द्वारा बंद कार्यकर्ताओ से निपटने के लिए 2000 से अधिक जवानो की तैनाती का दावा किया गया था। मगर हर चौराहे पर पुलिस के जवान और आला अधिकारी बेबस दिखाई दे रहे थे। बंद कार्यकर्ता आवागमन को बाधित कर रहे थे और पुलिस और प्रशासन के अधिकारी हाथ पे हाथ धरे अपनी लाचारी का प्रदर्शन कर रहे थे। बारिश से पहले तक पूरे दिन पुलिस बंद कार्यकर्ताओ के आगे लाचार और बेबस दिखी।
करमटोली चौक में प्रदर्शन का नेतृत्व कर रही गीताश्री उरांव ने कहा कि जिस दिन फ्लाईओवर का उद्घाटन होगा, उसे काला दिवस के रूप में हर वर्ष मनाया जायेगा। यह आदिवासी संस्कृति और उसकी पहचान पर कुठाराघात है, जिसे स्वीकार नहीं किया जाएगा। प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि सरकार इस बंदी के बाद भी नहीं जागी, तो पूरे झारखंड में तीन दिवसीय महाबंदी का आह्वान किया जाएगा। हम हर हाल में रैंप को सिरमटोली सरना स्थल के सामने से हटाकर रहेंगे।
बंद से जरूरी सेवाओं को मुक्त रखा गया था। एडमिशन के लिए जाने वाले विद्यार्थियों, हॉस्पिटल जाने वाले लोगो और प्रशासन के लोगो को बंद से बाहर रखा गया था।
बंद में शामिल कार्यकर्ता अपने साथ छोटे छोटे मासूम बच्चो को भी कड़ी धूप में सड़को पर प्रदर्शन के दौरान लेकर आये थे। जिस उम्र में इन बच्चो के हाथो में किताबे होनी चाहिए थी, उस उम्र में उनके अभिभावक बच्चो के साथ तपती धूप में लाठी डंडे लेकर घूम रहे थे।