
रांची: भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर लागू हो गया है। सीजफायर लागू कराने में कथित तौर पर अमेरिका की भूमिका को लेकर अपने-अपने स्तर से आंकलन किया जा रहा है। कोई सीजफायर का समर्थन कर रहा है। तो कोई पाकिस्तान को सबक सिखाने के, और भारत-पाकिस्तान मुद्दे में अमेरिका के दखल को गैर जरुरी और दुर्भाग्यपूर्ण बता रहा है। इस बीच झामुमो ने भी भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर और इसमें अमेरिका की कथित भूमिका पर सवाल खड़े किये है। झामुमो प्रवक्ता मनोज पांडेय ने कहा कि अगर ऑपरेशन सिंदूर तीन दिन और चलता, तो भारतीय सेना सुबह का नाश्ता इस्लामाबाद में और शाम का खाना कराची में करती। मनोज पांडेय ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति भारत का भविष्य तय कर रहे है, इससे बुरा और कुछ नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि यह अच्छा मौका था, पूरा देश सेना की कार्रवाई के साथ खड़ा था। यदि तीन दिन और ऑपरेशन सिंदूर चलता तो भारत की सेना सुबह का नाश्ता इस्लामाबाद में और शाम का खाना कराची में करती। सीजफायर लागु होने से हमारी सेना सर्वाधिक अपमानित हुई। एक विदेशी ताकत ने बीच में अम्पायर बनने का काम किया और सीटी बजाते ही पूरा मामला खत्म। समझौता एक संधि होती है, इसमें दोनों पक्षों का हस्ताक्षर होता है। उन्होंने सीजफायर पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि दोनों देशों के बीच कहां हुआ है कोई लिखित समझौता? 1971 में पाकिस्तान से जब युद्ध हुआ था तो शिमला समझौता हुआ था। मनोज पांडेय ने कहा कि इंदिरा गांधी आयरन लेडी थी। अमेरिका को आंख दिखाकर पाकिस्तान के दो दुकड़े कर दिए थे। जो शांति की भाषा समझे उसके साथ शांति की पहल होनी चाहिए। मनोज पांडेय ने आईएमएफ पर भी सवाल खड़ा करते हुए कहा कि जिस समय भारत आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान को सबक सिखा रहा था, ऐसे समय में आईएमएफ ने पाकिस्तान को बड़ी धनराशि लोन के रूप में दिया।