
नयी दिल्ली: पहलगाम में कायरतापूर्ण आतंकी हमले के जवाब में भारत ने पाकिस्तान के साथ दशकों पुराना सिंधु जल समझौता स्थगित कर दिया है। इस फैसले से पूरे पाकिस्तान में हाहाकार मच गया है। पाकिस्तान ने इसे ‘एक्ट ऑफ वॉर’ यानी युद्ध की कार्रवाई तक बताया है। वहीं आज दोनों देशों के बीच अरब सागर में भी मिसाइल परीक्षण के बाद तनाव की स्थिति बनी हुई है। अब भारत की ओर से सिंधु जल संधि को स्थगित करने के जवाब में पाकिस्तान ने 1972 के शिमला समझौते को स्थगित या रद्द करने की धमकी दी है। आइये जानते है कि आखिर क्या है ‘शिमला समझौता’ और इसके रद्द या स्थगित होने से भारत या पाकिस्तान पर इसका क्या असर पड़ेगा..
क्या है शिमला समझौता?
शिमला समझौता, जिसे शिमला संधि भी कहा जाता है, भारत और पाकिस्तान के बीच 2 जुलाई 1972 को हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक समझौता है। यह समझौता भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो के बीच शिमला, हिमाचल प्रदेश में हुआ था। इसका मुख्य उद्देश्य 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध (जो बांग्लादेश की स्वतंत्रता के लिए लड़ा गया) के बाद दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करना और द्विपक्षीय संबंधों को सामान्य करना था।
शिमला समझौते के प्रमुख बिंदु:
कश्मीर का द्विपक्षीय समाधान: दोनों देशों ने सहमति जताई कि भविष्य में सभी विवादों, विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर से संबंधित मुद्दों, को द्विपक्षीय वार्ता के माध्यम से सुलझाया जाएगा, बिना किसी तीसरे पक्ष (जैसे संयुक्त राष्ट्र या OIC यानी जैसे अंतर्राष्ट्रीय संस्था) के हस्तक्षेप के। भारत हमेशा से कश्मीर को भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मानता रहा है, और इसका हल दोनों देशों के बीच बातचीत के माध्यम से निकालने का पक्षधर रहा है। शिमला समझौता रद्द या स्थगित होने से पाकिस्तान फिर से कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों जैसे संयुक्त राष्ट्र, OIC या अन्य वैश्विक मंचों पर ले जाने की कोशिश कर सकता है।
नियंत्रण रेखा (LoC): 1971 के युद्ध के बाद जम्मू-कश्मीर में स्थापित नियंत्रण रेखा को दोनों देशों ने मान्यता दी और इसे सम्मान देने का वादा किया। शिमला संधि के स्थगित होने से सीमा पर संघर्षविराम उल्लंघन, घुसपैठ और सैन्य टकराव बढ़ सकते हैं।
शांति और सहयोग: दोनों देश शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व, एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करने के लिए सहमत हुए। अगर शिमला समझौता रद्द हुआ, तो पाकिस्तान में पलने वाले आतंकी समूह भारत के खिलाफ ज्यादा सक्रिय हो सकते हैं, क्योंकि अब उन्हें शांति प्रक्रिया की कोई बंदिश नहीं रहेगी।
युद्धबंदियों की वापसी: समझौते के तहत, पाकिस्तान के लगभग 93,000 युद्धबंदियों को भारत ने वापस किया, जो 1971 के युद्ध में बंदी बनाए गए थे।
शिमला समझौता का दोनों देशों के लिए महत्व:
शिमला समझौता भारत-पाकिस्तान संबंधों में एक महत्वपूर्ण कदम था, क्योंकि इसने दोनों देशों को शांतिपूर्ण वार्ता की दिशा में ले जाने का प्रयास किया। इस समझौते को जम्मू-कश्मीर विवाद को द्विपक्षीय मंच पर लाने के लिए भारत की कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जाता है। हालांकि, समय-समय पर दोनों देशों के बीच तनाव (जैसे कारगिल युद्ध, 1999) के कारण इस समझौते की भावना को चुनौतियां मिलीं।