
Special Report. 2029 का विधानसभा चुनाव अभी दूर है, मगर टाइगर जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम अभी से 2029 के चुनाव की तैयारी में जुट गयी है. जयराम महतो का ‘सीक्रेट प्लान’ लीक हो गया है, जिसने बीजेपी और आजसू की बेचैनी बढ़ा दी है. 2024 के विधानसभा चुनाव में जयराम महतो की वजह से बीजेपी सत्ता से दूर रह गयी. यही वजह है कि टाइगर के नए ऐलान-ए-जंग से होली में बीजेपी के रंग में भंग पड़ गया है. आइये आपको बताते है कि टाइगर के ‘सियासी टूलकिट’ में 2029 के लिए क्या क्या है, जिसने बीजेपी और आजसू की नींद उड़ा दी है. दरअसल, जयराम महतो ने अपनी पार्टी झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा से 11 लाख नए सदस्यों को जोड़ने का टारगेट सेट किया है. इतना ही नहीं, जयराम महतो जल्दी ही झारखंड में नई सियासी यात्रा पर भी निकलने वाले है, इसके लिए जयराम महतो ने बीजेपी के मजबूत गढ़ पलामू प्रमंडल को चुना है. बीते चुनावों में संथाल और कोल्हान में हेमंत सोरेन को प्रचंड समर्थन मिला था. यहां जेएमएम गठबंधन ने लगभग क्लीन स्वीप कर दिया था. कोल्हान और संथाल में बीजेपी का लगभग सूपड़ा साफ हो गया था. मगर उत्तरी छोटानागपुर और पलामू प्रमंडल में बीजेपी को हलकी बढ़त मिली थी. पलामू प्रमंडल की 9 सीटों में से बीजेपी 4 सीटों पर जीतने में कामयाब हुई थी. अब जयराम महतो के ऐलान से बीजेपी परेशान हो गयी है. 2024 में आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों के मजबूत समर्थन से सत्ता में लौटी हेमंत सोरन सरकार को जयराम महतो से उतना खतरा नहीं है, जितना बीजेपी और एनडीए को है. बीजेपी जानती है कि जयराम महतो की पैठ बढ़ने से उसके वोट बैंक में सीधा असर पड़ रहा है. बीते चुनावों में भी जयराम महतो ने एनडीए को 9 सीटों पर सीधे तौर पर नुक्सान पहुंचाया था. जयराम महतो की राजनीतिक ताकत बढ़ने से एनडीए से जुड़ा कुड़मी वोटर जयराम महतो के तरफ शिफ्ट होता जा रहा है. इससे बीजेपी को तो नुक्सान हो ही रहा है, बल्कि सबसे ज्यादा नुक्सान बीजेपी की सहयोगी आजसू को उठाना पड़ रहा है, जिसका सियासी आधार ही कुड़मी वोट बैंक पर टिका हुआ है. बीजेपी यह जानती है कि पलामू प्रमंडल में अगर उसका वोट बैंक बंटा, तो इसका सीधा नुक्सान एनडीए को उठाना पड़ सकता है. इसीलिए जयराम के सियासी ऐलान ने बीजेपी और उसके सहयोगियों को अभी से परेशान कर दिया है.