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होली के दिन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपने पैतृक गांव नेमरा में मनाया ‘बाहा पर्व’, अनुष्ठान में हुए शामिल, जानिये क्या है जनजातीय समुदाय से जुड़ा ये अद्भुत पर्व ‘बाहा’..

पूरा देश आज होली के रंगो से सराबोर रहा, मगर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पैतृक गांव नेमरा में थे।

Ranchi. पूरा देश आज होली के रंगो से सराबोर रहा, मगर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने पैतृक गांव नेमरा में थे। यहां उन्होंने जनजातीय समुदाय से जुड़े अद्भुत प्रकृति पर्व ‘बाहा पर्व’ मनाया, और पर्व से जुड़े अनुष्ठानो में शामिल हुए। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी सह विधायक कल्पना सोरेन के साथ सरना पूजा स्थल “जाहेरथान” में पारंपरिक विधि-विधान से पूजा-अर्चना की और राज्यवासियों की सुख, समृद्धि, उन्नति और कल्याण की कामना की।

बाहा पर्व क्या है ?

बाहा पर्व एक महत्वपूर्ण जनजातीय प्रकृति पर्व है, इसे संथाल में धूमधाम से मनाया जाता है। इसे ‘फूल पर्व’ भी कहा जाता है। यह पर्व वसंत ऋतु में मनाया जाता है और प्रकृति, फूलों तथा पर्यावरण के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने का प्रतीक है। इस पर्व में वृक्षों, फूलों और प्रकृति के प्रति श्रद्धा व्यक्त की जाती है।

संथाल आदिवासी इस पर्व में साल के वृक्ष एवं फूलों का उपयोग पूजा और अनुष्ठानों में करते हैं। इस अवसर पर आदिवासी समाज के लोग सामूहिक रूप से पूजा करते हैं, नृत्य-गान करते हैं और पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं।

आदिवासी समुदाय प्रकृति को देवतुल्य मानता है। वे मानते हैं कि मनुष्य का जीवन वृक्षों, फूलों और जल पर से है, इसलिए वे बाहा पर्व के दौरान वृक्षों की पूजा करते हैं और उनका सम्मान करते हैं। जब वसंत ऋतु में खेतों में नई फसलें तैयार होती हैं उस दौरान साल के पेड़ पर भी नए फूल खिलते हैं, जिन्हें आदिवासी समाज पवित्र मानता है। इस दौरान संथाल आदिवासी अपने पूर्वजो को भी याद करते है और उनसे आशीर्वाद लेते है। बाहा पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि प्रकृति के प्रति आभार प्रकट करने, सामाजिक एकता बढ़ाने और सांस्कृतिक परंपराओं को जीवित रखने का एक अनोखा महापर्व है। यह आदिवासी समुदाय के लोगों के लिए आस्था, उल्लास और सामूहिक चेतना का प्रतीक है।

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