
Ranchi. होली रंगो का त्यौहार है। मगर होली की आड़ में मनचले लड़कियों पर जबरन रंग लगाकर उन्हें परेशान करते है। मनचलो की इस हरकत से निपटने के लिए झारखंड में अनूठी परंपरा शुरू की गयी है। संथाल में अविवाहित लड़कियों पर जबरन रंग लगाने वाले मनचलो को सामजिक सजा का सामना करना पड़ता है। संथाली समाज में यह मान्यता है कि अगर कोई युवक किसी अविवाहित लड़की पर जबरन रंग डालता है, तो उसे उस लड़की से या तो उस युवक को विवाह करना होता है या अपनी पूरी संपत्ति उस लड़की के नाम करनी होती है। इस सख्त नियम के कारण संथाल में किसी भी युवक की हिम्मत नहीं होती, कि वह होली के त्योहार में अविवाहित लड़कियों को जबरन रंग लगाए या उनसे छेड़खानी करे। यहां मान्यता है कि सिर्फ संबंधी ही आपस में पानी की होली खेल सकते है। इनके अलावा लाल रंग का उपयोग कम ही किया जाता है। जब युवक युवती आपस में रंगो से खेल रहे हो, तो लाल रंग का उपयोग वर्जित होता है। लाल रंग सिर में जाने से उसे माथे का सिन्दूर मान लिया जाता है और दोनों युवक – युवतियों को शादी करनी पड़ती है। आदिवासी समाज प्रकृति उपासक है, इसीलिए किसी के घर में होली हो रही हो, तो वह रासायन युक्त रंगो के प्रयोग के बजाय, फूलो या प्राकृतिक तौर पर तैयार किये गए रंग (हर्बल कलर) से होली खेलते है। अधिकांश घरो में हल्दी, बीटरूट, नीम और पालक के रंगो से युक्त होली भी खेली जाती है।