
रांची: कर्ज के मामले में झारखंड की स्थिति देश के अन्य राज्यों से काफी बेहतर है. झारखंड पर संभवतः देश में सबसे कम कर्ज है. यहां प्रति व्यक्ति ऋण बोझ मात्र 2675 रूपये है. नीति आयोग ने जनवरी 2025 में जारी अपनी रिपोर्ट में झारखंड की सराहना की है. नीति आयोग की नयी राजकोषीय स्वास्थ्य सूचकांक रैंकिंग में पांच प्रमुख मानकों पर राज्य की सेहत का आंकलन किया गया है. पूंजी व्यय, राजस्व जुटाना, राजकोषीय विवेक, ऋण सूचकांक और ऋण स्थिरता. रिपोर्ट में झारखंड ने अपनी राजकोषीय स्थिति में सुधार दर्शाया है.
इस महीने भारत सरकार ने झारखंड के लिए ऋण लेने की सीमा में 15000 करोड़ की बढ़ोतरी की है, लेकिन राज्य सरकार की फिलहाल ऋण लेने की कोई मंशा नहीं है. 1 अप्रैल, 2024 को राज्य पर कुल ऋण 86,808 करोड़ रूपये था. पिछले वित्तीय वर्ष में झारखंड ने कोई नया कर्ज नहीं लिया, बल्कि 2505 करोड़ रूपये अपना कर्ज उतारा. मोटे तौर पर राज्य पर अभी जो ऋण है, वो जीएसडीपी का 30 प्रतिशत है. झारखंड ने 2022-23 में रैंक 4 (एफएचए स्कोर 51.6) हासिल किया, जो 2015-19 से 2021-22 की अवधि में रैंक 10 से काफी सुधार है. यह सुधार बेहतर राजस्व जुटाने, बढ़ी हुई राजकोषीय समझदारी, और मजबूत ऋण वहनीयता से प्रेरित है. यह पाया गया है कि झारखंड ने प्रभावी ढंग से गैर-कर स्रोत जुटाए है. कुल राजस्व के रूप में उनका अपना गैर-कर राजस्व औसतन 21% था. 2022-23 में राज्य का राजस्व अधिशेष 3.3% था. राजकोषीय घाटा 1.1% था, जो उधार ली गयी निधियों पर राज्य की कम निर्भरता को दर्शाता है. राज्य ने 2020-21 को छोड़कर 2018-19 से 2022-23 की अवधि के लिए राजस्व अधिशेष का भी अनुभव किया. राजस्व प्राप्तियां 2021-22 और 2022-23 में धन का एक प्रमुख स्रोत थी. औसत ब्याज दर में गिरावट की प्रवृति बनी हुई है.