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‘मरांग बुरु जुग जाहेर थान’ में सीएम हेमंत सोरेन और विधायक कल्पना सोरेन ने जिस बकरे को खिलाया था अक्षत, उस बकरे की बलि को असामाजिक बताकर पुलिस ने दर्ज किया मामला

पुलिस की कार्रवाई से आक्रोशित आदिवासियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल संतोष गंगवार से न्याय की मांग की है।

रांची. आदिवासियों की पवित्र भूमि मरांग बुरु के जाहेर थान में बकरे की बलि देने को असामाजिक मानते हुए गिरिडीह के मधुबन थाना की पुलिस ने आदिवासी नेताओ पर मामला दर्ज किया है। उन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35(3) के तहत नोटिस भी दिया गया है। पुलिस की कार्रवाई से आक्रोशित आदिवासियों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्यपाल संतोष गंगवार से न्याय की मांग की है। आज रांची में प्रेस कांफ्रेंस करते हुए मरांग बुरु सांवता सुसार बैसी के अध्यक्ष नुनुका टुडू, सचिव सिकंदर हेम्ब्रम, संयुक्त सचिव अर्जुन हेम्ब्रम और बुधन हेम्ब्रम ने संयुक्त प्रेस वार्ता कर इसकी जानकारी दी। उन्होंने मामले से निर्दोष लोगों को मुक्त करने तथा भारत सरकार के ऑफिस मेमोरेंडम संख्या 11-584/2014-डब्लूएल के संकल्प को रद्द/संशोधित कर क्षेत्र को “जुग जाहेर थान दिशोम मांझी थान” घोषित कर आदिवासी समाज की पारंपरिक पूजा में आ रही बाधा को दूर करने की मांग की है।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बकरे को खिलाया था अक्षत

बैसी के नेताओं ने कहा कि “मरांग बुरु” (पारसनाथ) राज्य की सबसे ऊंची चोटी है और वही आदिवासी समाज का विश्व प्रसिद्ध पूज्यनीय और आदरणीय “मरांग बुरु जुग जाहेर थान” है। मरांग बुरु की चोटी पर जुग जाहेर थान और छत्रपल की तलहटी में दिशोम मांझी थान अवस्थित है। जहां सृष्टि के निर्माण काल ​​से ही आदिवासी समाज बलि प्रथा के साथ पूजा-अर्चना करता आ रहा है। साथ ही बैशाख पूर्णिमा को तीन दिवसीय धार्मिक सेंदरा और आदिवासी सम्मेलन का आयोजन होता है, जिसे लोबिर बैसी कहते हैं।

फाल्गुन शुक्ल की प्रथम तिथि से पौष माह में तीन दिवसीय बहापर्व, करमपर्व, सोहराय महोत्सव का आयोजन होता है। यह क्षेत्र और राज्य आदिवासी बहुल है। देश-विदेश में रहने वाले तमाम लोग मरांग बुरु की पूजा करते हैं। हम सभी आदिवासी इस पवित्र भूमि के लिए धार्मिक अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं और समाज भी आंदोलित है। हम किसी समुदाय की पूजा और आस्था के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम उन लोगों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करने का अनुरोध करते हैं जो पहाड़ के उस हिस्से में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और हमारी आस्था और पूजा के विरुद्ध है।

19 जुलाई 2024 को मुख्यमंत्री हेमंत अपनी पत्नी कल्पना और समर्थकों के साथ दिशोम मांझी थान में पूजा करने आए थे। इस दौरान यहां डीसी के साथ एसपी और बीडीओ भी मौजूद थे। मांझी थान में मुख्यमंत्री और उनकी पत्नी ने दस बकरियों को अक्षत खिलाया। खिलाने के बाद पूजा में मुख्य भूमिका निभा रहे बाबूराम सोरेन (भारती चलकरी) और पुजारी चांदोलाल टुडू से समाज के लोगों ने पूछा कि बकरे की बलि दी जाएगी या नहीं। तब दोनों ने एक स्वर में कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा अक्षत खिलाए गए बकरे की बलि नहीं दी जाएगी तो किसकी बलि दी जाएगी। बैसी के नेताओं का कहना है कि उस दिन जब मुख्यमंत्री मांझीथान से जाने लगे तो पुजारी के आदेशानुसार दस बकरों में से एक की बलि दे दी गई। शेष 09 बकरों को लेकर मुख्यमंत्री के कुछ समर्थक भाग गए।

आदिवासी नेताओं ने कहा कि हम सभी आदिवासी लोग बकरे को अक्षत खिलाते हैं और वहीं पर उसकी बलि देते हैं। आदिवासियों के धार्मिक अनुष्ठानों में यही परंपरा रही है। यहां सीएम ने दोहरा चरित्र अपनाया। हम आदिवासी सवाल करते हैं कि अगर हेमंत सोरेन जी को “जुग जाहेर थान, दिशोम मांझी थान और मरांग बुरु” पर भरोसा है, तो वह इसका खुलकर ऐलान करें और जैन धर्म और आदिवासियों की संस्कृति के बीच भ्रम को दूर करने का संतुलित रास्ता निकालकर आदिवासी समाज का दिल जीतने का काम करें। ऐसा करने के बजाय 19 जुलाई 2024 को पूजा के बाद बलि को असामाजिक बताकर मामला दर्ज कर दिया गया।

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