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टिकट बंटवारे पर बाजेपी में बवाल, एक पक्ष के नेताओ को प्राथमिकता देने के मामले में पलामू और धनबाद में बवाल, कार्यकर्ता आपस में भिड़े

जैसे जैसे झारखंड विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है। पार्टियों के लिए योग्य उम्मीदवारों को टिकट देना एक बड़ी चुनौती बन गयी है।

रांची. जैसे जैसे झारखंड विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहा है। पार्टियों के लिए योग्य उम्मीदवारों को टिकट देना एक बड़ी चुनौती बन गयी है। भाजपा में पार्टी की अन्दरूनी गुटबाजी आज खुलकर सामने आ गयी। टिकट बंटवारे के लिए आम रायशुमारी बनाने को लेकर बुलाई गयी बैठक के दौरान दो जिलों में जमकर हंगामा हो गया। इस दौरान कार्यकर्ता आपस में ही हाथापाई और गाली गलौज करने लगे। पलामू और धनबाद के कार्यकर्ताओ ने एक पक्ष के नेताओ को टिकट बंटवारे में प्राथमिकता देने का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा किया।

पलामू में फंसा पेंच, धनबाद में धरी रह गयी बैठक

आम रायशुमारी के लिए भारतीय जनता पार्टी की पलामू और धनबाद इकाई ने बैठक बुलाई थी। बैठक में रायशुमारी के लिए पर्ची का वितरण किया गया था, जिस पर अपने पसंदीदा प्रत्याशी का नाम कार्यकर्ताओं को लिखना था। आरोप है कि एक पक्ष के द्वारा खास लोगों को पर्ची दी गई और नाम लिखने को कहा जा रहा था। इसके बाद पूरे मामले में विवाद बढ़ता गया और चुनाव लड़ने के दावेदारी करने वाले नेताओ के कार्यकर्ता आपस में ही भिड़ गए और जमकर बवाल काटा। यहां बिश्रामपुर विधानसभा सीट से वर्तमान विधायक रामचंद्र चंद्रवंशी, रामाशीष यादव, नरेंद्र कुमार पांडेय, विभाकर नारायण पांडेय समेत कई नेता अपनी-अपनी दावेदारी प्रस्तुत कर रहे हैं। विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र में रायशुमारी के लिए प्रदेश के कार्य समिति सदस्य अरुण कुमार झा एवं राजकुमार सिंह को पर्यवेक्षक पार्टी के द्वारा बनाया गया था। आरोप है की कार्यकर्ताओ ने पर्यवेक्षक के सामने ही हंगामा खड़ा कर दिया।

उधर, धनबाद में एलबी सिंह के समर्थक और वर्तमान विधायक राज सिंह के समर्थक आपस में ही भिड़ गए। दोनों ओर से जमकर हंगामा हुआ। आम रायशुमारी के लिए बुलाई गयी बैठक के दौरान आरोप लगा कि बैठक में ऐसे नेताओ को भी आमंत्रित किया गया, जिन्होंने कभी पार्टी में काम नहीं किया। जब कार्यकर्ताओ ने उन नेताओ का विरोध किया और वोटिंग का बहिष्कार किया, तो दोनों पक्षों के बीच हंगामा खड़ा हो गया। धनबाद भाजपा कार्यकर्ताओ ने आरोप लगाया कि धनबल का प्रयोग कर कार्यकर्ताओ का वोट खरीद कर दूसरे पक्ष के नेता अपने नाम पर वोटिंग करवा रहे है। ये नेता पार्टी में कभी सक्रीय नहीं रहे, मगर चुनाव में टिकट लेने के लिए ये तमाम हथकंडे अपना रहे है।

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