
रांची: राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने ओबीसी आरक्षण 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी करने की अनुशंसा कार्मिक विभाग से की है। मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने कहा है कि झारखंड सरकार ने ओबीसी/ पिछड़ा वर्ग के आरक्षण को बढ़ा कर 27 फीसदी करने के लिए विधेयक पास कर राजभवन भेजा था, जिसे 1932 के खतियान आधारित स्थानीय नीति एवं सरना कोड की तरह उलझा दिया गया। पिछड़ा वर्ग आयोग ने फिर इस दिशा में पहल की है। राज्य की आम जनता के अधिकारों के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। एसटी, एससी एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री दीपक बिरुआ ने कहा है कि एक बार फिर आरक्षण का दायरा बढ़ाने को लिए सरकार और मजबूती से आगे बढ़ेगी।
उन्होंने कहा कि पिछड़ा वर्ग की आबादी को ध्यान में रखते हुए इनके लिए समेकित आरक्षण की सीमा 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने के लिए 11 नवंबर 2022 को सदन से आरक्षण विधेयक पारित करा राजभवन को भेजा था, जिसे राज्यपाल ने लौटा दिया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य में आरक्षण का दायरा बढ़ा कर 77 प्रतिशत करने के लिए विधेयक पारित किया था। इसमें एसटी को 28 प्रतिशत, ओबीसी को 27 प्रतिशत एवं एससी को 12 प्रतिशत आरक्षण देने का प्रावधान था। विधेयक को नौवीं अनुसूची में शामिल करने की अनुशंसा भी की गई थी।
आरक्षण बढ़ाने की पहल का स्वागत: मोर्चा
राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने झारखंड सरकार द्वारा राज्य में ओबीसी का आरक्षण बढ़ाने की कवायद का स्वागत किया है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ओबीसी का आरक्षण राज्य में लागू होने में काफी देर हो गई है। बावजूद इसके राष्ट्रीय ओबीसी मोर्चा स्वागत के साथ पूर्व (2020) में की गई राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग की अनुशंसा 36 से 50 आरक्षण लागू करने की मांग करता है। या फिर 50 की सीमा रेखा हटाकर जिस तरह से एससी, एसटी और ईडब्ल्यूएस को जनसंख्या अनुपात में आरक्षण राज्य में प्राप्त हो गया है, उसी तरह ओबीसी को भी उसकी जनसंख्या अनुपात में राज्य में 50 आरक्षण मिलना चाहिए।