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अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद ने जनजाति सुरक्षा मंच और वनवासी कल्याण केंद्र पर प्रतिबंध लगाने की मांग की, प्रेमशाही मुंडा बोले- डीलिस्टिंग के नाम पर आदिवासियों को तोड़ने का हो रहा है प्रयास

अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद के राष्ट्रिय महासचिव प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि डिलिस्टिंग सिर्फ ईसाई बनें आदिवासियों की ही क्यों? हिंदू, मुस्लिम, सिख और जैन बनें आदिवासियों की भी डिलिस्टिंग की जाये. डिलिस्टिंग के नाम पर कुछ सांप्रदायिक संगठनों द्वारा आदिवासी समाज को तोड़ने का प्रयास हो रहा है.

रांची. अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद के राष्ट्रीय महासचिव प्रेम शाही मुंडा ने प्रेस बयान जारी कर कहा कि डिलिस्टिंग के नाम पर जनजाति सुरक्षा मंच राज्य में 24 दिसंबर 2023 की रैली कर आदिवासी समाज को तोड़ने का प्रयास कर रही है. यह रैली भारतीय जनता पार्टी, वनवासी कल्याण केंद्र के द्वारा प्रायोजित रैली है. आदिवासी समाज के तोड़ने वालों का अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद पुरजोर विरोध करता है. डीलिस्टिंग आदिवासी ईसाई बने समाज को ही क्यों? डिलिस्टिंग ही करना है तो हिंदू, मुस्लिम, सिख,जैन बने हुए आदिवासियों को डिलीस्टिंग करें.

प्रेमशाही मुंडा ने कहा कि डीलिस्टिंग की राजनीति कर झारखंड की भाषा संस्कृति को कुचलने का प्रयास हो रहा है. देश के संसद में आदिवासियों के हित में बनें वन अधिकार कानून को संशोधन कर ग्राम सभा की शक्तियों को समाप्त कर दिया गया है. दूसरी तरफ ऐसे संगठन आदिवासी समाज के धर्म कोड, पांचवी अनुसूची, समता जजमेंट पर कभी बात नहीं करते. हमेशा चुप्पी साधे रहते है. केंद्र सरकार द्वारा कॉमन सिविल कोड देश में लाकर आदिवासियों की संस्कृति, सभ्यता, परंपरा, प्रथागत कानून और संवैधानिक अधिकार को समाप्त करने का षड्यंत्र चल रहा है. इसीलिए अखिल भारतीय आदिवासी धर्म परिषद राज्य सरकार से मांग करती है कि अविलंब ऐसे सांप्रदायिक संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाए.

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