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17 दिनों तक टनल से बेटे के बाहर निकलने का पिता ने किया इंतज़ार, गांव वालो से कहते रहे – बेटे को मेरी उम्र भी लग जाए, मगर बेटे को गले लगाने से पहले ही सदमे से हो गयी मौत

जमशेदपुर. उत्तरकाशी के सिलकियारा सुरंग में 17 दिनों तक जिंदगी से जंग लड़ने के बाद सखुशल बाहर निकले पूर्वी सिंहभूम जिले के बाहदा गांव के भक्तू मुर्मू (29) की खुशियां गम में बदल गयी, जब भक्तू को अपने पिता बारसा मुर्मू के निधन की सूचना मिली. मंगलवार सुबह 8 बजे उनके 70 वर्षीय पिता बारसा मुर्मू की मौत हो गई. वो अपने बेटे के बाहर आने की खबर तक नहीं सुन सके.

ग्रामीणों ने बताया कि बारसा मुर्मू 17 दिनों तक ठीक से सोये नहीं थे. गांव में जो भी हाल पूछने आता था उसे बस यही कहते थे कि वो ठीक है, भगवान उनकी उम्र भी उनके बेटे को दे दे. मगर उसे सही सलामत घर भेज दे. हर पल भगवान से अपने बेटे की सलामती की दुआ मांगते रहते थे. मंगलवार को सदमे से उनका निधन हो गया. नाश्ता के बाद दामाद ठाकरा हांसदा के साथ खाट पर बैठते ही उन्हें सदमा लगा और वे जमीन पर गिर पड़े. बारसा मुर्मू मौत को मात देकर जिंदगी की जंग जीतने वाले अपने बेटे को देख तक नहीं सके.

तीन बेटो के पिता है बारसा: बारसा मुर्मू के तीन बेटे है. उनका एक बेटा भक्तू मुर्मू उत्तरकाशी के सिलकियारा सुरंग में मजदूरी कर रहा था, जहां वह 17 दिन से फंसा था. दूसरा बेटा रामराय मुर्मू चेन्नई में काम करता है और तीसरा बेटा मंगल मुर्मू मजदूरी करने दुसरे गांव गया है.

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