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झामुमो ने बाबूलाल मरांडी को बताया झारखंड का ‘चुनौटी’, लाश पर राजनीति ना करने की दी नसीहत

रांची. संथाल के सुंदरपहाड़ी क्षेत्र में मलेरिया से कुछ बच्चों की मौत मामले में अब राजनीति शुरू हो गयी है. बीजेपी और जेएमएम इस मामले में आमने-सामने आ गयी है. जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बाबूलाल मरांडी और बीजेपी पर मलेरिया को लेकर राजनीति करने का आरोप लगाया है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि कोरोना की तरह मलेरिया भी राज्य के लिए आपदा है. सुंदरपहाड़ी के इलाके में राज्य सरकार ने बीते 4 साल में सड़क सुविधाएं भी विकसित की है. मगर सुंदरपहाड़ी क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति उत्तराखंड जैसी ही है. यहां पहाड़ों को एक हद तक ही काटा जा सकता है. इस इलाके में माल पहाड़िया जनजाति भी निवास करती है, जिन्हे यहां से विस्थापित नहीं किया जा सकता. वहां जैसे ही इस बिमारी का प्रकोप हुआ, प्रशासन ने तुरंत राहत बचाव कार्य शुरू कर दिया. स्थानीय जेएमएम सांसद विजय हांसदा सबसे पहले सुंदरपहाड़ी पहुंचे. प्रशासन के द्वारा वहां मेडिकल कैंप लगाया गया. और लोगों के इलाज और बचाव का काम भी युद्धस्तर पर शुरू किया गया. इसके बाद वहां दुखद तरीके से मलेरिया की वजह से कुछ बच्चों की मौत भी हुई. मगर इसके तुरंत बाद वहां लाश पर राजनीति शुरू कर दी गयी. पहले गोड्डा से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे वहां पहुंच गए और मेडिकल कैंप में खड़े होकर कहने लगे कि यहां इलाज की कोई सुविधा नहीं है. इसके बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी भी वहां मोटरसाइकिल से पहुंच गए और अनर्गल आरोप लगाते हुए ड्रामा करने लगे. वहां एम्बुलेंस लगी हुई है, लोगों के बीच जरुरी दवाएं पहुंच गयी. खाने-पीने का सामान पहुंच गया. प्रभावित परिवारों को मुआवजा पहुंच गया. मगर बाबूलाल मरांडी वहां पहुंचकर पूछने लगे कि यहां मुख्यमंत्री क्यों नहीं पहुंचे.

जेएमएम ने बाबूलाल मरांडी के आरोपों का जवाब देते हुए बाबूलाल को झारखंड के लिए ‘चुनौटी’ बता दिया. जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री अगर ऐसे संवेदनशील साइट पर जाते है, तो व्यवस्था चरमरा जाती है. वहां प्रशासन का पूरा ध्यान प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री की तरफ चला जाता है. 15 दिनों से उत्तराखंड में जो मजदूर फंसे हुए थे, क्या उत्तराखंड के मुख्यमंत्री वहां गए? क्या प्रधानमंत्री उत्तराखंड गए? जब ओडिशा के बालासोर में ट्रेन का हादसा हुआ, तो वहां प्रधानमंत्री पहुंचे. बालासोर में प्रधानमंत्री के पहुंचने पर चार घंटे के लिए राहत बचाव कार्य रोक दिया गया. भाजपा संवेदनशील मुद्दों को भी राजनीति का मुद्दा बना रही है. बाबूलाल मरांडी को जवाब देना चाहिए कि वे कभी मणिपुर क्यों नहीं गए. क्या मणिपुर इस देश से बाहर है? भाजपा के लोग मणिपुर नहीं जा सकते और बरहेट की बात करते है. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हर पल सुंदरपहाड़ी की स्थिति की समीक्षा कर रहे है. दिशा-निर्देश दिया जा रहा है. सुंदरपहाड़ी के क्षेत्र में पूरा प्रशासनिक अमला मौजूद है. वहां के कमिश्नर, उपायुक्त, सिविल सर्जन से लेकर वहां के जनप्रतिनिधि सह सांसद विजय हांसदा भी हर वक़्त सुंदरपहाड़ी के इलाके में मौजूद है. वहां हर जरुरी सामान मौजूद है.

जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने बाबूलाल मरांडी द्वारा दिशोम गुरु शिबू सोरेन को लेकर दिए गए बयान पर भी हमला किया. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि जिन्हे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी ‘जी’ कहकर संबोधित करते है. संसद के उदघाटन में जिन्हे वरिष्ठ सांसद के ओहदे से बुलाया गया था. उन दिशोम गुरु को बाबूलाल मरांडी अब शिबू कहने लगे है. अभी सोशल मीडिया में ‘पनौती’ की बहुत चर्चा हुई थी. मगर झारखंड में एक ‘चुनौटी’ भी है. क्योंकि बाबूलाल मरांडी ने झारखंड स्थापना की नींव में चूना डालने का काम किया था. बाबूलाल जब मुख्यमंत्री थे, तब तपकारा गोलीकांड हुआ था. क्या बाबूलाल मरांडी गए थे तपकारा? कितने लोगों से मिले थे? नेतरहाट फील्ड फायरिंग रेंज में जब गोलियां चली, लोग शहीद हुए. तब बाबूलाल मरांडी गए थे क्या नेतरहाट? सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि हाल में प्रधानमंत्री तेजस से यात्रा कर रहे थे. उसी वक्त कश्मीर में शहीद कैप्टन का पार्थिव शरीर आया था. क्या पीएम ने शहीद को श्रद्धांजलि दी.

जेएमएम ने बाबूलाल मरांडी को नसीहत देते हुए कहा कि वे चाहे तो कहीं भी घूमते रहे, लेकिन जो संवेदनशील मुद्दें है, उन्हें लेकर लोगों के बीच में भ्रम ना फैलाएं. झामुमो ने बाबूलाल को झारखंड का ‘चुनौटी’ बताया और नसीहत दी कि वे झारखंड के लोगों को चूना लगाने का काम ना करें. सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि बाबूलाल मरांडी झारखंड के लिए चुनौटी बन गए है. वे 14 साल तक भाजपा को गाली देते रहे. बाबूलाल का अपना मस्तिष्क नहीं है. गुरूजी को शिबू कहना. ये किसी राजनेता की भाषा है क्या? बाबूलाल मरांडी शायद भूल गए है कि अगर गुरूजी शिबू सोरेन ने महाजनी प्रथा के खिलाफ लड़ाई नहीं लड़ी होती, तो आज बाबूलाल मरांडी भी नहीं होते.

बाबूलाल ने जनादेश का सौदा किया, 2024 में नहीं जीतेंगे राजधनवार:

जेएमएम महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि 2019 का जनादेश बहुत स्पष्ट था. जनता ने हेमंत सोरेन और शिबू सोरेन के नाम पर जनादेश दिया था. बाबूलाल मरांडी को भी भाजपा के खिलाफ जनादेश मिला था. मगर बाबूलाल मरांडी जनादेश का सौदा करते हुए बीजेपी में शामिल हो गए. बाबूलाल जैसे लोग जबतक राजनीतिक समाज में रहेंगे, राजनीतिक समाज कभी प्रदूषण मुक्त नहीं हो सकता. जेएमएम ने कहा कि बाबूलाल मरांडी 2024 में राजधनवार भी नहीं जीतेंगे. इस बात की गारंटी है.

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