
रांची. छठ महापर्व के तीसरे दिन आज रविवार को छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित करेंगे. छठ महापर्व को देखते हुए राजधानी रांची में लगभग 72 छठ घाट सज-धज कर व्रतियों के स्वागत के लिए तैयार है. इससे पहले शनिवार को छठ व्रतियों ने खरना पूजन के साथ छठी मैया की पूजा अर्चना की. खरना के बाद छठ व्रतियों का 36 घंटे का महाकठिन निर्जला उपवास शुरू हो गया. आज रांची के छठ घाटों पर आस्था का सैलाब उमड़ेगा, जिसे देखते हुए प्रशासन ने भी तैयारियां पूरी कर ली है. वहीं, सोमवार को कार्तिक शुक्ल सप्तमी के दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य अर्पित करने के बाद छठ महापर्व का समापन होगा.
छठ के दिन रविवार को राजधानी रांची में सूर्यास्त शाम 5:03 बजे होगा. जबकि, सोमवार को सूर्योदय सुबह 6:06 बजे होगा. इस दौरान मौसम साफ रहेगा. बंगाल की खाड़ी में बने निम्न दबाव की वजह से राजधानी समेत पूरे राज्य में तापमान में बढ़ोतरी हुई है, जिस वजह से ठंड का अहसास कम होगा.
अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य का अर्थ:
सनातन धर्म में छठ महापर्व एक मात्र ऐसा पर्व है, जिसमे डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित किया जाता है. डूबते सूर्य को अर्घ्य अर्पित करना इस बात का प्रतीक है कि हर अंत में ही आरंभ यानी सृजन का मंत्र छिपा होता है. जीवन में कितनी भी बड़ी निराशा या अंधकार क्यों ना हो, हर अंधकार को अस्त होना है. जिसके बाद एक नए प्रकाश का आना निश्चित है. डूबते सूर्य को अर्घ्य इस बात का प्रतीक है कि जो अस्त हो रहा है, उसे भी नमन करना जरुरी है. क्योंकि उसके अस्त होने के बाद ही नए प्रकाश का उदय होता है. इसे हम जीवन में भी जोड़ सकते है. जो कमजोर या असहाय हो, उसकी सेवा करनी चाहिए. उसे भी नारायण का ही स्वरुप मानना चाहिए. अच्छे वक्त में सभी लोग आपके आसपास होते है, आपको पूछते है, मगर सच्चा हितैषी वही है जो आपके बुरे वक्त में आपका साथ दे रहा है.