
रांची: जहां पहले नक्सलियों के गोलियों की गड़गड़ाहट गूंजती थी. जहां कभी जाने से बड़े-बड़े अधिकारियों और नेताओं के पसीने छूट जाते थे. जिस जगह पर माओवादियों का राज कायम था. जहां माओवादियों की मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिलता था. उस बूढ़ा पहाड़ में देश की आजादी के 76 साल बाद मंगलवार को पहली बार भारत का राष्ट्रिय ध्वज फहराया गया. आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मजबूत नेतृत्व में इसी साल फरवरी महीने में बूढ़ा पहाड़ को नक्सलियों और माओवादियों के चगुल से पूरी तरह मुक्त करा लिया गया था. कभी घोर नक्सल प्रभावित इलाका माने जाने वाले बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र के लिए सीएम हेमंत सोरेन ने करोड़ो रूपये की योजनाओं की भी मंजूरी दी थी. सीएम हेमंत सोरेन ने नक्सलियों के गढ़ में घुसकर विकास योजनाओं का शिलान्यास किया था. जहां जाने से कभी मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री सरीखे नेता भी कतराते थे, वहां मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ना केवल नक्सलियों का सफाया किया, बल्कि पूरी दुनिया से अलग-थलग रह रहे बूढ़ा पहाड़ के ग्रामीणों को विकास से जोड़कर मुख्यधारा में लाने का भी काम किया. जिस बूढ़ा पहाड़ क्षेत्र में तीन दशक तक नक्सलियों का एकछत्र राज कायम था, वहां आदिवासी मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नक्सलियों के तीन दशक पुरानी सत्ता को उखाड़कर कानून का राज कायम किया. मंगलवार को जब आजादी के 76 साल बाद बूढ़ा पहाड़ में देश का स्वाभिमान ‘तिरंगा’ फहराया गया, तो हर किसी का सीना गर्व से चौड़ा हो गया. जिसने भी बूढ़ा पहाड़ में तिरंगा फहराए जाने और तिरंगा यात्रा निकाले जाने की खबर सुनी, वो खुद को हेमंत सरकार की तारीफ करने से नहीं रोक पाया. कल बूढ़ा पहाड़ से बदलते झारखंड की बुलंद आवाज सुनाई दी. आप भी देखिये और महसूस कीजिये बूढ़ा पहाड़ के ग्रामीणों की नक्सलवाद से आजादी का ये जयघोष.