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क्राइम कंट्रोल होता नहीं, पुलिस चली है दुकानदारी चौपट करने.. रांची पुलिस ये क्या कर रही है?

बेतहाशा बढे आपराधिक मामलो के बीच औपचारिकता का नया बहाना बना 'अड्डेबाजी पर नकेल', दुकानों में आने से कतरा रहे ग्राहक, रात 9 बजे के बाद पुलिस बना देती है 'नाईट कर्फ्यू' जैसा माहौल, ऐसे में कैसे चलेगा आम आदमी का गुजारा DGP साहब..

Special Report. एक दौर था जब राजधानी रांची की रातें रौशन और बाजार गुलजार हुआ करते थे. मगर पहले इन रौनको को कोरोना की नजर लगी, फिर रांची पुलिस के पहरे ने रात की रौशनी को ढंक लिया. हास्यास्पद तो ये है कि पुलिस जिस क्राइम कंट्रोल के नाम पर रात 9 बजे के बाद पूरे राजधानी में ‘नाईट कर्फ्यू’ जैसा माहौल बना देती है, उस क्राइम के पिछले एक हफ्ते के आंकड़ों को ही देख ले, तो पुलिस को शाबाशी देने का मन आपके जहन से उतर जायेगा. कभी अपनी तत्परता और कुशलता का लोहा मनवाने वाली रांची पुलिस अब केवल क्राइम कंट्रोल और क्राइम चेकिंग के नाम पर रात 10 बजे दुकाने बंद कराने और उसके बाद सड़को पर नाकाबंदी कर वाहन जांच के नाम पर खानापूर्ति करने भर के लिए सबकी जुबान पर है. हाल ही में हुई कुछ आपराधिक वारदातों ने पूरे राज्य को दहला दिया है. मगर पुलिस का ध्यान उन वारदातों की तह तक जाने के बजाय ‘नाईट कर्फ्यू’ लगाने पर ज्यादा है. बालूमाथ में रविंद्र साहू की हत्या के 72 घंटे से ज्यादा बीत चुके है. पूरा बालूमाथ जल रहा है, मगर अपराधी अब भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है. अभी वो दिन कोई भूला भी नहीं था, जब पतरातू में गोलीकांड को अंजाम दिया गया और रांची के मोरहाबादी और दलादली चौक में तीन लोगो की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी. इनमे से एक सुभाष मुंडा सीपीआईएम के नेता थे. इन बड़ी वारदातों को छोड़ दे, तो कई ऐसे वारदाते भी हुई जो खबरों के समंदर में आयी और चली गयी.

अड्डेबाजी के नाम पर गरीब दुकानदारों के दुकानों में खड़े आम लोगो को डंडा दिखाने से अपराध नहीं रुकता है साहब

झारखंड में अपराध की बात करे तो 12 अगस्त को बालूमाथ में भाजपा नेता रविंद्र साहू की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. 13 अगस्त को रामगढ़ में जमीन विवाद में दो लोगो को गोली मार कर हत्या कर दी गयी, इसमें से एक की तत्काल मौत हो गयी. रांची के मोरहाबादी इलाके में जूस दूकान के संचालक और उसके स्टाफ की गोली मारकर हत्या कर दी गयी. 8 अगस्त को रामगढ़ में माही रेस्टुरेंट के संचालक पर अपराधियों ने गोली चला दी थी. मौके पर उनकी मौत हो गयी थी. 4 अगस्त को अनगड़ा में पांच साल की मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया था. मगर इन वारदातों पर लगाम लगाने के बजाय पुलिस रात 9 बजे के बाद अड्डेबाजी और अपराध कंट्रोल के नाम पर दुकाने बंद करवाकर अपनी चौकीदारी दिखा रही है.

पुलिस की इन हरकतों ने राजधानी रांची के रात के रौनको को तो ग्रहण लगाया ही है, साथ ही गरीब दुकानदारों पर तो एक बार फिर महामारी काल जैसी काली शामत आ गयी है. दुकानों से ग्राहक रात होते ही नदारद हो जाते है. सड़को पर इक्के दुक्के वाहन नजर आते है, जिन्हे पुलिस की सघन जांच से गुजरना पड़ता है. जांच के नाम पर वाहनचालकों की तस्वीरें और वीडियो बनाये जाते है, जैसे उन्होंने कोई बड़ा अपराध कर दिया हो. रांची पुलिस की इस अपमानजनक कार्यशैली पर अब राजनेता भी मुखर होकर बोलने लगे है. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने रांची पुलिस की ‘दुकान बंद कराओ’ वाली नेगेटिव स्ट्रेटेजी पर करारा हमला बोला है. उन्होंने ट्वीट कर लिखा – एक बार राँची के मोराबादी इलाक़े में हत्या हुई थी, जिसके बाद हेमंत सरकार ने पूरे मोराबादी के ठेले-खोमचे वालों को बंद करवा दिया था. नतीज़ा ये हुआ कि कई ग़रीब सड़क पर आ गये थे और भुखमरी की नौबत तक आ गई थी.

इस बार ज़मीन कारोबार में हत्या होने लगी तो सरकार द्वारा ग़रीब चाय वालों पर, ढाबा वालों पर, चाय नाश्ता बेच कर ज़िंदगी चलाने वालों पर क़हर बरसाया जा रहा है. तर्क यह दिया जा रहा है कि यहाँ पर अड्डेबाज़ी होती है. हेमंत सोरेन जी…आपकी सरकार में अपराध का ठीकरा बस ग़रीबों पर ही क्यों फोड़ा जाता है? अगर आप सच में अपराध रोकना चाहते है तो ग़रीबों की दुकाने नहीं, बल्कि अपनी दुकान बंद कीजिए…अपनी उस दुकान पर ताला लगाइए जहां पर पुलिस में कप्तान से लेकर थानेदार तक चढ़ावा चढ़ा कर मनचाही पोस्टिंग ले रहे हैं….

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