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झारखंड विधानसभा से ‘नकल विरोधी कानून’ पास, प्रश्न पत्र लीक करने वाले जालसाजों को दस साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान

रांची: झारखंड में अब नकल करने-कराने वाले, प्रश्न पत्र लीक करने वाले और प्रतियोगी परीक्षाओं में धांधली करने वाले जालसाज नपेंगे. लाखो छात्रों के भविष्य और मेहनत के साथ खिलवाड़ करने वाले धांधलेबाज अब कानून के शिकंजे से नहीं बच पाएंगे. झारखंड विधानसभा से आज झारखंड प्रतियोगी परीक्षा भर्ती एवं अनुचित साधन रोकथाम विधेयक 2023 मामूली संशोधनों के साथ पास हो गया. राज्य सरकार ने छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए नकल करने पर मिलने वाली सजा को कम कर दिया है. इसके तहत अब पहली बार कदाचार करने पर तीन साल की सजा की जगह एक साल की सजा, और दूसरी बार कदाचार करते पकडे जाने पर 7 साल की सजा की जगह 3 साल की सजा होगी. सीएम हेमंत सोरेन ने विपक्ष के हंगामे और विरोध पर तंज कसते हुए कहा कि इस कानून से डर और भय उन एजेंसियों और परीक्षार्थियों को होना चाहिए, जिनकी वजह से लाखों छात्र प्रभावित होते है. सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि विपक्ष ने झारखंड में काला चश्मा पहन रखा है, जिसकी वजह से उसे हर चीज काली नजर आ रही है. विपक्ष यदि काला चश्मा उतार दे तो उसे हर चीज सफेद दिखने लगेगी.

जानिये विधेयक के प्रावधानों को:

  • पहली बार नकल करने या करवाने पर एक साल की सजा और आर्थिक जुर्माना का प्रावधान है. दूसरी बार नकल करने या करवाने पर तीन साल की सजा और आर्थिक दंड का प्रावधान है.
  • परीक्षा में शामिल एजेंसी या कंपनी द्वारा परीक्षा की गोपनीयता भंग करने, प्रश्न पत्र लीक करने वालों को कम से कम दस साल और अधिकतम आजीवन कारावास की सजा होगी. इसके अलावा इन एजेंसियों व कंपनियों के ऊपर एक करोड़ से लेकर 2 करोड़ रूपये तक दंड भी लगाया जायेगा. दंड की रकम नहीं चुकाने पर अतिरिक्त 3 साल की सजा का प्रावधान है.
  • यह प्रावधान राज्य लोक सेवा आयोग, कर्मचारी चयन आयोग, भर्ती एजेंसियों द्वारा आयोजित होने वाली प्रतियोगी परीक्षा, राज्य सरकार के लोक उपक्रमों द्वारा आयोजित परीक्षा के अलावा निगम और निकायों द्वारा आयोजित परीक्षाओं में भी लागू होगा.
  • इस कानून के दायरे में परीक्षा में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों के साथ-साथ परीक्षा प्रक्रिया में शामिल होने वाले एजेंसियों, सरकारी कर्मचारियों द्वारा प्रश्न पत्र लीक करने या परीक्षा की गोपनीयता भंग करने वाली जानकारी को सार्वजानिक करने वाले भी आएंगे. इसके अलावा परीक्षा ड्यूटी में शामिल कर्मचारियों, उनके पारिवारिक सदस्यों, और रिश्तेदारों को धमकी देने व परीक्षा के संबंध में गलत सूचना प्रचारित करने या अफवाह फैलाने वाले भी इसके दायरे में आएंगे.

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