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नीति आयोग के साथ अहम् बैठक के दौरान सीएम हेमंत सोरेन ने उठायी राज्य की मांग, बोले- हमारी योजनाओ को जल्द स्वीकृति दे केंद्र, कोल कंपनियों का बकाया और FCI से अनाज ना मिलने का मुद्दा भी सीएम ने आयोग के सामने रखा

सीएम हेमंत सोरेन ने नीति आयोग के समक्ष रखी मांग, बोले - साहिबगंज से रांची तक 9000 करोड़ की लागत से बनने वाले एक्सप्रेस वे समेत 1600 किलोमीटर के आठ नए कॉरिडोर को मंजूरी दे केंद्र सरकार.

रांची. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में नीति आयोग की टीम के साथ आज हुई अहम बैठक में कई मुद्दों और विषयों पर चर्चा कि गयी. मीटिंग के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जिस राज्य से देश चलता है, जिस राज्य से भारत सरकार को आमदनी होती है. वहां के लोगो के पास संसाधनों की कमी है. इस अधिकार को देने का काम केंद्र सरकार का है. हमने अपने हक़ की बात केंद्र के सामने रखा है.

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोयला कंपनियों का करोडो का बकाया आज भी झारखंड सरकार को नहीं मिला है. आठ लाख लोगो को आवास देने का मामला भी केंद्र के पास लटका हुआ है. खाद्य सुरक्षा के तहत सबको अनाज मिले, ये सरकार का दाइत्व है. राज्य सरकार ने अतिरिक्त 20 लाख हरा राशन कार्ड बनाकर वंचित गरीबो को अनाज देने की योजना बनाई, मगर FCI राज्य सरकार को अनाज नहीं दे रही है. हमे खुले बाजार से महंगे दरों में अनाज खरीदना पड़ रहा है. इस चिंता से हमने नीति आयोग को अवगत कराया है.

केंद्र सरकार जिलों में अस्पताल खोलने का निर्णय लेती है, मगर आधा अधूरा अस्पताल का पीएम उद्घाटन करते है, तब कोई सवाल नहीं करता. मगर हम जब सुदूर इलाको में मेडिकल सुविधाएं देने की कोशिश करते है, तो अड़ंगा लगा दिया जाता है. अस्पताल कहां खुलेगा, इसकी छूट हमे दी जाए. ग्रामीण इलाको में कोई फैकल्टी नहीं जाना चाहता. देवघर एम्स ओपीडी से ऊपर नहीं बढ़ पाया है.

मुख्यमंत्री ने नीति आयोग के समक्ष इन मांगो को प्रमुखता से दी जगह:

  • राज्य को मिल रहे संसाधनों की बेहतर उपयोगिता के लिए केंद्र और राज्य को मिलकर काम करना होगा, तभी हम विकसित देश और विकसित राज्य बना पाएंगे.

  • कोयला मंत्रालय से जुड़े मामलों में कोल् कंपनियों द्वारा जमीन अधिग्रहण के एवज में मुआवजा और कोयले पर राज्य सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी से जुड़े मुद्दे.

  • सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि विभिन्न कोयला कंपनियों का जमीन अधिग्रहण को लेकर लगभग 80 हज़ार करोड़ रुपए मुआवजा दिया जाना है , लेकिन मात्र 2532 करोड़ रुपए राज्य सरकार और रैयतों को मुआवजा दिया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि कोल कंपनियां जो भी जमीन अधिग्रहित करती है, उसका मुआवजा मिलना चाहिए, भले ही उस पर खनन कार्य शुरू नहीं हुआ हो.

  • कोयला पर मिलने वाली रॉयल्टी की दर बढ़े, राज्य सरकार को ज्यादा से ज्यादा कोल रॉयल्टी मिलनी चाहिए.

  • केंद्र द्वारा लाभुकों का जितना कोटा तय है, उससे कहीं ज्यादा लाभुकों को राशन की जरूरत है. इसलिए राज्य सरकार ने अपने स्तर पर राशन कार्ड जारी किए हैं. लेकिन, राज्य सरकार के राशन कार्ड धारियों के लिए अनाज सरकार को बाजार से खरीदना पड़ता है. फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा अनाज उपलब्ध नहीं कराया जाता है. ऐसे में नीति आयोग केंद्र सरकार के पास झारखंड की इस मांग को रखे कि राज्य सरकार के राशन कार्ड धारियों के लिए भी राज्य सरकार को एफसीआई से अनाज उपलब्ध कराया जाए.

  • राज्य में मेडिकल कॉलेज के लिए ऐसी जगहों को चिन्हित किया गया है, जहां उसकी उपयोगिता उतनी नहीं है. अगर केंद्र सरकार मेडिकल कॉलेज स्थापित करने की दिशा में निर्णय ले रही है तो उसमें राज्य सरकार की भी सलाह ली जानी चाहिये.

  • झारखंड में साहिबगंज से रांची तक ग्रीन फील्ड एक्सप्रेस बनाया जाना है. इसकी लागत लगभग 9 हज़ार करोड़ रुपए है. इसके अलावा राज्य में 8 नए कोरिडोर भी बनाए जाएंगे, जिसकी लंबाई लगभग 16 सौ किलोमीटर होगी. यह झारखंड के जिलों को जोड़ने के साथ दूसरे राज्यों से भी जुड़ी होगी. राज्य सरकार की ओर से ये दोनों प्रस्ताव केंद्र को भेजे गए है, इस पर जल्द स्वीकृति मिले.

  • राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री पशुधन योजना शुरू की है. इसके तहत लाभुकों को पशु दिए जा रहे हैं. ऐसा कई बार देखने को मिला है कि पशुओं की मौत से पशुपालकों की आर्थिक स्थिति खराब हो जाती है. इस वजह से राज्य सरकार ने पशुओं की इंश्योरेंस की योजना बनाई है. अगर केंद्र सरकार द्वारा भी पशु के इंश्योरेंस की कोई योजना है तो उसका लाभ झारखंड को देने की दिशा में पहल होनी चाहिए.

  • राज्य सरकार के द्वारा स्वर्णरेखा बहुउद्देशीय परियोजना, प्रधानमंत्री आवास योजना, ग्रामीण चावल,वन क्षेत्र में टूरिज्म को बढ़ावा देने, गंगा नदी पर पुल, मनरेगा दर बढाने और ऊर्जा को लेकर डीवीसी से जुड़े मामले को भी रखा गया.

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